- SHARE
-
PUC सर्टिफिकेट: दिल्ली परिवहन विभाग प्रदूषण जांच (पीयूसी सर्टिफिकेट) को महंगा करने जा रहा है. दिल्ली में वाहन प्रदूषण जांच के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाना अब पहले की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा महंगा पड़ सकता है. निजी कार हो, स्कूटर हो, बाइक हो या कमर्शियल कार, बस, ट्रक, बाइक, पेट्रोल, डीजल या सीएनजी से चलने वाला तिपहिया वाहन हो, पीयूसी लेना अनिवार्य है।
दिल्ली में बाढ़, बारिश, जलजमाव और महंगाई के बीच अब वाहन मालिकों को एक और झटका लगने वाला है. दिल्ली परिवहन विभाग प्रदूषण जांच (पीयूसी सर्टिफिकेट) महंगा करने जा रहा है। दिल्ली में वाहन प्रदूषण जांच के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाना अब पहले की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा महंगा पड़ सकता है. पेट्रोल, डीजल या सीएनजी से चलने वाली निजी कार, स्कूटर, बाइक हो या कमर्शियल कार, बस, ट्रक, बाइक, थ्री-व्हीलर, पीयूसी लेना अनिवार्य है। दिल्ली परिवहन विभाग के मुताबिक, बढ़ाई जाने वाली राशि सभी दोपहिया और चार पहिया वाहनों पर लागू होगी.
फिलहाल दिल्ली में प्रदूषण जांच न कराने पर 10,000 रुपये का चालान काटने का प्रावधान है. दिल्ली में आखिरी बार प्रदूषण जांच की दर साल 2011 में बढ़ाई गई थी. दिल्ली परिवहन विभाग ने भी वाहन प्रदूषण जांच की दर बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए पिछले दिनों एक कमेटी का गठन किया गया था. इस समिति ने महंगाई दर का मूल्यांकन करने के बाद सभी हितधारकों से बात कर नई दर तय की है.
दिल्ली में प्रदूषण जांच की दर बढ़ाने की तैयारी
गौरतलब है कि दिल्ली में 950 से ज्यादा प्रदूषण जांच केंद्र हैं. फिलहाल दिल्ली में प्रदूषण जांच के नाम पर दोपहिया वाहनों के लिए 60 रुपये और पेट्रोल से चलने वाले चार पहिया वाहनों के लिए 80 रुपये चुकाने पड़ते हैं. वहीं, डीजल से चलने वाले चार पहिया वाहनों पर 100 रुपये की राशि वसूली जाती है. इस पर 18 फीसदी जीएसटी भी अलग से लगता है.
दिल्ली में ऐसे बनता है प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट:
परिवहन विभाग की मानें तो साल 2022 में दिल्ली में 50 लाख दोपहिया और चार पहिया वाहनों का प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र जारी किया गया. इधर, पीयूसी सेंटर संचालकों ने भी सरकार से प्रदूषण जांच दर 150-300 रुपये तक बढ़ाने की मांग की है. इन लोगों का कहना है कि पेट्रोल पंप पर हर महीने 10 हजार रुपये तक किराया देना पड़ता है. इससे उन्हें काफी नुकसान होता है.
आपको बता दें कि दिल्ली में बीएस-6 वाहनों को साल में एक बार और बीएस-4 वाहनों को हर छह महीने में एक बार प्रदूषण जांच करानी होती है। इस सर्टिफिकेट को जारी करने का मकसद यह है कि तय मानकों से ज्यादा प्रदूषण न हो. पीयूसी का पूरा नाम पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल है। सड़क पर चलने वाले सभी प्रकार के वाहनों के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है।
(pc rightsofemployees)