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झारखंड के विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना से जोड़ने के प्रस्ताव पर झारखंड वित्त विभाग ने अपनी सहमति दे दी है.
इस बीच उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी विश्वविद्यालयों से पुरानी पेंशन योजना के तहत व्यय भार की मांग की है. इसके अलावा उच्च शिक्षा निदेशालय ने यह भी मांग की है कि विश्वविद्यालय में अब तक कितने अधिकारियों, शिक्षकों और कर्मचारियों को स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) आवंटित किया गया है।
इसके साथ ही उनके वेतन से अंशदायी योजना के तहत कटौती की गई है. निदेशालय के पत्र के आलोक में रांची विश्वविद्यालय को छोड़कर लगभग सभी विश्वविद्यालयों ने व्यय एवं अन्य वांछित जानकारी उपलब्ध करा दी है. निदेशालय ने रांची यूनिवर्सिटी से दोबारा विस्तृत जानकारी मांगी है. ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके.
सरकार ने उक्त पत्र वापस नहीं लिया है :
विश्वविद्यालय के मामले में, वर्ष 2020-21 में नई पेंशन योजना के संबंध में राज्य सरकार द्वारा भेजा गया पत्र अभी तक वापस नहीं लिया गया है। उच्च शिक्षा निदेशालय को सबसे पहले उक्त पत्र को रद्द करना होगा. इसके बाद पुरानी पेंशन योजना (2004 से पहले की) लागू की जा सकती है.
2004 के बाद नियुक्त शिक्षकों, कर्मचारियों व पदाधिकारियों के मामले में तकनीकी समस्या
राज्य विश्वविद्यालय में जेपीएससी से नियुक्त 2008 बैच के करीब साढ़े सात सौ शिक्षकों समेत 2004 के बाद नियुक्त शिक्षकों, अनुकंपा के आधार पर नियुक्त पदाधिकारियों व कर्मचारियों के मामले में तकनीकी दिक्कत है. इसका कारण यह है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2020-21 में सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर सूचित किया है कि 2004 के बाद नियुक्त विश्वविद्यालय कर्मचारी नई पेंशन योजना में हैं.
सरकार का पत्र मिलने के बाद अनुकंपा के आधार पर नियुक्त शिक्षकों, पदाधिकारियों और कर्मचारियों ने विरोध करते हुए कहा कि नियुक्ति 2004 के बाद हुई है, तो नयी पेंशन योजना लागू होने और कटौती की जानकारी विश्वविद्यालय में क्यों दी जा रही है. वर्ष 2020-21. . बाद में शिक्षकों ने इसे लेकर झारखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
(pc rightsofemployees)