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महाभारत में आपने कर्ण का जिक्र तो सुना ही होगा। वो पराक्रमी, महाज्ञानी और महा पराक्रमी थे। कर्ण के पिता सूर्य थे और उनकी माता पांडवों की मां कुंती थी। कुंती ने विवाह से पहले ही कर्ण को जन्म दिया था, लेकिन उन्होंने लोक लाज के डर से कर्ण का त्याग कर दिया था।
जब कर्ण की मृत्यु हुई तो श्रीकृष्ण ने उनसे कोई वरदान मांगने को कहा कर्ण ने कहा उनका अंतिम संस्कार किसी ऐसे स्थान पर किया जाए जहां पहले कभी किसी का अंतिम संस्कार न हुआ हो।
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इसके अलावा उन्होंने श्रीकष्ण से कहा कि उनका अंतिम संस्कार वही व्यक्ति करें जिसने कभी कोई पाप नहीं किया हो। मान्यताओं के अनुसार, कर्ण की अंतिम इच्छा को श्रीकृष्ण ने मान लिया और अपनी बाईं हथेली पर चिता बनाकर कर्ण का अंतिम संस्कार किया था।
कुंती पुत्र ने श्रीकृष्ण से ये भी कहा था कि उनकी अस्थियां वहीं प्रवाहित की जाए, जहां किसी की अस्थियां विसर्जित नहीं हुई हो।
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