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महाभारत के सबसे अहम पात्रों में से एक भीष्म पितामह भी थे। जिनके बारे में भी आपने भी सुना होगा कि उन्हें बेहद ही दर्दनाक मौत मिली थी। लेकिन जब उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान था तो उनकी मौत इतनी दर्दनाक क्यों हुई? इसी बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि भीष्म पितामह के शरीर को अर्जुन ने छलनी कर दिया था लेकिन उनकी मौत तभी हुई जब उन्होंने चाहा। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या उनके द्वारा पिछले जन्म में किए गए पाप के कारण मिली थी।
भीष्म पितामह ने युद्ध समाप्त होने के बाद श्री कृष्ण से पूछा कि आखिर उन्हें इतनी पीड़ा क्यों सहनी पड़ी? उन्हें आखिर बाणों की शैय्या क्यों मिली? तब श्री कृष्ण ने इसका जवाब दिया था।
श्री कृष्ण ने बताया, पिछले जन्म में जब आप युवराज थे तब एक नाग को उठाकर आपने फेंक दिया था। इसके बाद नाग कांटों पर गिर गया था और छह महीने तक उसके प्राण नहीं निकले थे
नाग कांटों से निकलने की जीतनी भी कोशिश करता वह उसके शरीर में उतना अधिक घुसते जाते। इसी कर्म का फल था कि भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लेटना पड़ा था।
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