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PC: news24online
महाभारत के अनुशासन पर्व में एक विशेष प्रसंग है जिसमें युधिष्ठिर भीष्म पितामह से सवाल पूछते हैं और कहते हैं, "पितामह, अभी द्वापरयुग और कलियुग का संधिकाल चल रहा है। । क्या आप कृपया मुझे बता सकते हैं कि कलियुग में लोग कौन से महापाप करेंगे?" जवाब में भीष्म पितामह कहते हैं, "हे युधिष्ठिर, मैं अब तुम्हे 10 ऐसे महापापों के बारे में बताऊंगा जो कलियुग में लोग अनजाने में या जानबूझकर करेंगे।"
1. हिंसा
भीष्म पितामह ने बताया था कि कलियुग में मनुष्य बेहद ही हिंसक होंगे। वह अपने लाभ के लिए किसी भी हद तक गिर जाएंगे और किसी से भी हिंसा करने से पहले नहीं सोचेंगे। हिंसा करना कलयुग में महापापों की श्रेणी में आएगा।
2. चोरी
कलियुग में चोरी करना भी महापाप माना जाएगा। मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए दूसरे का धन चुराएगा। जो लोग किसी राज्य के लिए काम कर रहे हैं वो बदले में रिश्वत लेंगे।
3. व्यभिचार
कलियुग में स्त्री-पुरुष सभी चरित्रहीन होने की राह पर चल पड़ेंगे। स्त्रियां पुरुषों को और पुरुष स्त्रियों को गलत नजर से देखेंगे। पितामह कहते हैं कि यह व्यभिचार कहलाएगा और व्यभिचार करना महापाप माना जाएगा।
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4. अभद्र भाषा
कलयुग में सभी मनुष्य एक दूसरे के गाली गलौच और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करेंगे। इस से वे महापाप के भागीदार बन जाएंगे।
5. अनर्थ बोलना
भीष्म पितामह की के अनुसार कलयुग में मनुष्य एक दूसरे के लिए बहुत कुछ उल्टा सीधा बोल देंगे। हमेशा एक दूसरे के चरित्र को गलत कहेंगे, जो कि एक महापाप होगा।
6. बड़ों का अपमान
कलयुग में लोग अपने ही माता पिता और बड़ों का अपमान करेंगे। किसी को इज्जत नहीं देंगे। ऐसा करना एक प्रकार से प्रचलन बन जाएगा। इस से मनुष्य पाप के भागीदार बनते जाएंगे।
7. झूठ बोलना
महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह युधिष्ठिर से कहते हैं कि कलियुग में बहुत से मनुष्य असत्य की राह पर चलेंगे। वे झूठ बोल कर पैसा कमाएंगे और धन के बल पर लोगों का शोषण भी करेगा। ये एक महापाप कहलाएगा।
8. गलत सोचना
कलियुग में मनुष्य ये सोचेंगे कि स्वयं खूब तरक्की करे लेकिन उसका पड़ोसी या भाई हमेशा संकटों से घिरा रहे। जिस से वे महापाप के भागीदार बने रहेंगे।
9. नुकसान पहुंचाना
कलयुग में मनुष्य दूसरों को हमेशा मानसिक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुचाएंगे। भीष्म पितामह के अनुसार ये कर्म उसे महापाप का भागीदार बना देगा।
10. वासना
कलियुग का मनुष्य हमेशा वासना में ही डूबा रहेगा। स्त्री हो या पुरुष, कोई भी एक से संतुष्ट नहीं रहेगा। वह हमेशा दूसरों के साथ संबंध बनाना चाहेगा। वासना भी महापाप माना जाएगा।
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