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लाभ पंचमी पर भगवान शिव, गणेश और लक्ष्मी की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति, व्यापार, नौकरी और व्यवसाय में उन्नति और समृद्धि आती है। सौभाग्य पंचमी व्रत रखने से खुशहाली, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है। चाहे व्यवसाय का विस्तार करना हो, नया व्यापार शुरू करना हो या बाजार में खरीदारी करनी हो, यह दिन 24 घंटे शुभ माना जाता है। दिवाली के उत्सव के समापन के बाद कई भारतीय समुदाय एक विशेष पर्व मनाते हैं जिसे लाभ पंचमी, 'सौभाग्य पंचमी' या 'ज्ञान पंचमी' के नाम से जाना जाता है। इसे दिवाली के त्योहार का अंतिम दिन माना जाता है और यह नई शुरुआत, समृद्धि और सफलता का अवसर लाता है। यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है। इस वर्ष लाभ पंचमी का पर्व 6 नवंबर 2024, बुधवार को है।
लाभ पंचमी का महत्व यह है कि इस दिन पूजा करने से घर और व्यापार में शुभता आती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भक्त इस दिन अपने खातों की नई शुरुआत करते हैं और ज्ञान और समृद्धि के लिए लक्ष्मी गणेश यंत्र की पूजा करते हैं। जैन समुदाय अपने धार्मिक ग्रंथों की पूजा करते हैं और ज्ञान प्राप्ति के लिए भगवान को प्रसाद, मिठाई और फलों का भोग लगाते हैं।
लाभ पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा का भी प्रचलन है। दिवाली से लाभ पंचमी तक दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना एक परंपरा है। इस दिन मिठाई और उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है, जो रिश्तों में मिठास का प्रतीक है।
लाभ पंचमी 2024 का शुभ मुहूर्त
- लाभ पंचमी तिथि: बुधवार, 6 नवंबर 2024
- लाभ पंचमी मुहूर्त: सुबह 06:12 से 10:08 बजे तक
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 6 नवंबर 2024 को दोपहर 12:16 बजे
- पंचमी तिथि समाप्त: 7 नवंबर 2024 को 12:41 बजे रात
पंचमी के दिन के चौघड़िया मुहूर्त:
- सूर्योदय: सुबह 06:43 बजे
- शुभ: 10:36 बजे से 11:53 बजे तक
- लाभ: 06:43 बजे से 08:00 बजे तक
- अमृत: 08:00 बजे से 09:18 बजे तक
रात के चौघड़िया मुहूर्त:
- सूर्यास्त: शाम 05:04 बजे
- लाभ: 3:19 बजे से 5:01 बजे (7 नवंबर)
- शुभ: 6:46 बजे से 8:29 बजे तक
- अमृत: 8:29 बजे से 10:11 बजे तक
लाभ पंचमी पूजा विधि
लाभ पंचमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। भगवान गणेश और शिव की मूर्तियां चौघड़िया के शुभ मुहूर्त में स्थापित करें। सुपारी पर पवित्र धागा लपेटकर चावल के ढेर पर रखें। गणेश जी की मूर्ति भी रखें। गणेश जी को चंदन, सिंदूर, फूल और दूर्वा अर्पित करें। शिवजी को भस्म, बिल्वपत्र, धतूरा के फूल और सफेद वस्त्र चढ़ाएं। गणेश जी को मोदक और शिवजी को दूध का भोग लगाएं।
लाभ पंचम मंत्र
भगवान गणेश के लिए मंत्र: लंबोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम। आवाहयामि देवं गणेशं सिद्धिदायकम।
भगवान शिव के लिए मंत्र: त्रिनेत्राय नमस्तुभ्यं उमादेहार्धधारिणे। त्रिशूलधारिणे तस्मै भूतनाथाय ते नमः।
मंत्र उच्चारण के बाद धूप और दीप जलाकर आरती करें। द्वार पर दोनों ओर स्वस्तिक बनाएं। पूजा के उपरांत प्रसाद वितरित करें।
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