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जॉब अलर्ट! महंगाई और मंदी का असर अब पूरी दुनिया पर दिखने लगा है. आईटी कंपनियों के नए प्रोजेक्ट पर असर पड़ने से हायरिंग भी धीमी हो गई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त तक कंपनियों ने 50 फीसदी कम हायरिंग की है और पूरे साल कमोबेश यही स्थिति रहने की आशंका है.
देश में सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला आईटी सेक्टर इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। पिछले एक साल से आईटी सेक्टर की कंपनियों ने छंटनी और भर्ती को लेकर तरह-तरह की रणनीति अपनाई है। इसका असर भविष्य में भी दिखने की संभावना है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आईटी कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष में नियुक्तियां काफी कम कर दी हैं और आगे भी ऐसा ही माहौल रहने की आशंका है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की 245 अरब डॉलर (करीब 20 लाख करोड़ रुपये) की आईटी इंडस्ट्री पर संकट इतना बढ़ गया है कि पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी कम नौकरियां देने की योजना है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु स्थित डेटा कंपनी एक्सफेनो ने बताया है कि कंपनियों ने पहली तिमाही में ही नियुक्तियां कम कर दी हैं।
22 हजार नौकरियों पर कैंची
रिपोर्ट में कहा गया है कि टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल टेक, विप्रो और टेक महिंद्रा (TCS, Infosys, HCL Tech, Wipro and Tech Mahindra) जैसी कंपनियों ने 2023-24 की पहली तिमाही में नियुक्तियां कम कर दी हैं। पहली तिमाही में इन कंपनियों ने 21,838 वैकेंसी में कटौती की है. पिछले साल इन कंपनियों की कुल हायरिंग 2.50 लाख लोगों की थी, जबकि चालू वित्त वर्ष में सिर्फ 50 हजार से 1 लाख लोगों को नौकरी देने की तैयारी है.
टीसीएस ने सिर्फ 500 को नौकरी दी
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस ने वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सिर्फ 500 लोगों को नौकरी दी है. इतना ही नहीं, वैश्विक आईटी कंपनियों एक्सेंचर, कैपजेमिनी और कॉग्निजेंट ने पहली तिमाही में 5,000 नियुक्तियां कम कर दी हैं। ऐसे में वित्तीय वर्ष आईटी सेवाओं के लिहाज से काफी मुश्किल रहने वाला है। टीमलीज डिजिटल के सीईओ सुनील सी का कहना है कि कंपनियों को नए प्रोजेक्ट मिलने में दिक्कत हो रही है। यही वजह है कि हायरिंग पर इतना बड़ा असर पड़ रहा है.
अगस्त तक नियुक्तियां आधी हो गईं
आईटी कंपनियां इस साल अपनी नियुक्तियों में 40 प्रतिशत तक की कमी कर सकती हैं क्योंकि वे अपने कार्यबल का उपयोग करने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर रही हैं। कंपनियों की मंशा कर्मचारियों का कम से कम इस्तेमाल करने की है और इसके बजाय वे टेक्नोलॉजी पर ज्यादा जोर दे रही हैं। अगस्त के आंकड़ों पर नजर डालें तो कंपनियों ने पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी कम हायरिंग की है. सिर्फ भारतीय कंपनियां ही नहीं, बल्कि मेटा, एप्पल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, नेटफ्लिक्स और अल्फाबेट जैसी दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों ने जुलाई 2023 तक सिर्फ 1,400 लोगों को नौकरी दी है।
(pc rightsofemployees)