भारतीय रेलवे नियम: रेलवे ने बदला थर्ड एसी-स्लीपर कोच में सोने का नियम, फटाफट जानें डिटेल

epaper | Monday, 14 Aug 2023 08:29:51 PM
Indian Railways Rules: Railway changed the rule of sleeping in 3rd AC-Sleeper coach, know details instantly

यात्रियों के लिए रेलवे का नया नियम: जो लोग अक्सर ट्रेन से यात्रा करते हैं उन्हें रेलवे बोर्ड द्वारा समय-समय पर बदले जाने वाले नियमों के बारे में जरूर जानना चाहिए। बीते दिनों रेलवे की ओर से यात्रियों के लिए लागू कुछ नियमों में बदलाव किया गया है.

इनमें से एक नियम ट्रेन के स्लीपर और एसी कोच में सोने से भी जुड़ा है। यानी रेलवे ने अब ट्रेनों में सोने का समय बदल दिया है. इससे पहले रेलवे बोर्ड की ओर से यात्री को अधिकतम नौ घंटे तक सोने की इजाजत थी. लेकिन अब यह समय घटाकर 8 घंटे कर दिया गया है.

इस बार पहले से बदलाव हुआ है

नियम के मुताबिक पहले यात्री रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक एसी कोच और स्लीपर में सो सकते थे. लेकिन रेलवे के बदले नियमों के मुताबिक अब आप रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही सो सकेंगे. इससे ज्यादा सोने पर आपको रेलवे मैनुअल के मुताबिक जुर्माना भी देना पड़ सकता है. यह बदलाव केवल उन्हीं ट्रेनों में लागू है जिनमें सोने की व्यवस्था है। इस बदलाव को लागू करने का कारण यात्रियों को उचित सुविधा प्रदान करना है।

समय 9 घंटे से घटाकर 8 घंटे कर दिया गया

दरअसल, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक का समय सोने के लिए अच्छा माना जाता है। पहले कुछ यात्रियों के 9 से 6 बजे के समय में खाना खाने की वजह से दूसरे यात्री परेशान हो जाते थे. अब रेलवे का मानना है कि यात्रा करने वाले यात्रियों को रात 10 बजे तक डिनर आदि से मुक्ति मिलेगी और वे अपनी बर्थ पर सोकर आराम से यात्रा कर सकेंगे. समय में बदलाव का दूसरा कारण यह है कि निचली बर्थ के यात्रियों की लंबे समय से शिकायत रही है कि मध्य बर्थ के यात्री जल्दी सो जाते हैं। इससे नीचे की सीट पर बैठे यात्री को परेशानी होती है.

ऐसी शिकायतों और सुझावों पर विचार करने के बाद रेलवे ने सोने के समय में बदलाव किया है. नए नियम के मुताबिक, मिडिल बर्थ का यात्री रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक सो सकता है. इसके बाद उन्हें बर्थ खाली करनी होगी. अगर आपको कोई यात्री इस समय से पहले या बाद में सोता हुआ दिखे तो आप इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से कर सकते हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने पर यात्री के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने यह नियम साल 2017 में लागू किया था.



 


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