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रेलवे प्रिंटिंग प्रेस: अक्टूबर 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे द्वारा नियंत्रित सभी प्रिंटिंग प्रेसों को बंद करने की सरकार की मंशा जताई थी।
सरकार ने कहा था कि वह प्रिंटिंग प्रेस का ठेका किसी तीसरे पक्ष को देना चाहती है। इसके बाद कई प्रिंटिंग प्रेसों को बंद करने का निर्णय लिया गया और अब शेष प्रिंटिंग प्रेसों को बंद करने का निर्णय लिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रेल मंत्रालय ने कई बातचीत के बाद 14 प्रिंटिंग प्रेसों में से 9 को बंद करने और बाकी 5 को अपने नियंत्रण में रखने का फैसला किया था. अब इन्हें भी बंद करने का आदेश रेल मंत्रालय की ओर से दिया गया है।
रेलवे बोर्ड ने बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा कि बायकुला मुंबई, हावड़ा, शकूरबस्ती-दिल्ली, रॉयपुरम चेन्नई और सिकंदराबाद में रेलवे प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने का फैसला किया गया है. चार जून 2019 को जारी पत्र में प्रिंटिंग प्रेस को भी बंद करने का निर्णय लिया गया था.
थर्ड पार्टी को टेंडर मिलेगा
अब इसके लिए टेंडर निकाले जाएंगे। इसके बाद वेंडर को इन प्रिंटिंग प्रेसों में प्रिंट होने वाली टिकट व अन्य सामग्री तैयार करने का ठेका दिया जाएगा। रेलवे ने यह फैसला डिजिटल को बढ़ावा देने के लिए लिया है। रेलवे के इस कदम के पीछे एक खास मकसद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे सिर्फ ट्रेनों के संचालन पर फोकस करना चाहता है. इस कारण वह बाकी काम ठेके पर देकर लोड कम करना चाहती है।
ज्यादातर डिजिटल टिकट बुक होते हैं
रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, मौजूदा समय में ज्यादातर रिजर्व टिकट 81 फीसदी ई-टिकटिंग के जरिए बुक किए जाते हैं। मार्च में अनारक्षित टिकट प्रणाली (यूटीएस) के जरिए 2.75 अनारक्षित टिकट बुक किए गए। अधिकारी ने कहा कि खिड़की से टिकट कटना बंद नहीं होगा बल्कि उस पर से लोड कम होगा.
(pc rightsofemployees)