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महाभारत के वन पर्व में भीम और हनुमान की मुलाकात का एक प्रसंग है जिसके बारे में आपको जानकारी नहीं होगी। हनुमान जी ने भीम को अपने तीन बाल दिए थे। लेकिन आखिर इन बालों का क्या रहस्य है? इसी बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
जब पांडव वनवास में थे, तब भीम एक खास फूल की खोज के लिए हिमालय गए थे। तभी उन्हें रास्ते में एक बूढ़ा वानर दिखा जो कोई और नहीं बल्कि हनुमान जी थे। वह विशाल वानर रास्ते में लेटा था और पूरा रास्ता उसने घेर रखा था।
भीम ने वानर से रास्ते से हटने के लिए विनती की, लेकिन वानर ने कहा मैं बुजुर्ग हूँ और अपनी पूंछ को नहीं हटा सकता हूँ इसलिए तुम खुद मेरी पूंछ हटा कर अपना रास्ता बना लो।
जब भीम ने पूंछ को हटाने की कोशिश की, तो वो पूंछ को हिला तक नहीं सके। इस से भीम को ज्ञात हो गया कि ये कोई साधारण वानर नहीं है। भीम के आग्रह पर हनुमान जी अपने असली रूप में आए और भीम को अपने बल का अहसास करवाया।
हनुमान जी ने भीम को आशीर्वाद के रूप में अपने तीन बाल भी दिए। इन बालों को भीम ने अपने पास सुरक्षित रख लिया। इन तीन बालों को तीन प्रमुख गुणों का प्रतीक माना जा सकता है; बल, बुद्धि और भक्ति।
एक बार भीम ऋषि मृगा को ढूंढने के लिए निकले थे। जब भीम को वे मिले तो उन्होंने ऋषि मृगा को हस्तिनापुर चलने की प्रार्थना की। ऋषि ने उनके सामने एक शर्त रखी।
ऋषि ने कहा कि तुम्हे मुझसे पहले हस्तिनापुर पहुंचना होगा। अगर तुम ऐसा करने में असमर्थ रहे तो मैं तुम्हे खा जाऊंगा। भीम ऋषि से पहले पहुंचने के लिए तेजी से भागने लगे तो ऋषि हवा की भांति और भी तेज भागने लगे।
तब भीम को हनुमान जी के तीन बाल याद आए। जब ऋषि मृगा भीम के नजदीक आए तो उन्होंने एक बाल नीचे गिरवाया जिससे लाखों शिवलिंग बन गए।
अब ऋषि हर शिवलिंग को प्रणाम करते हुए आगे बढ़ने लगे; जिससे भीम को दूर तक भागने का मौका मिल गया। भीम एक एक कर के तीनों बाल गिराते गए और उनसे पहले हस्तिनापुर पहुंच गए। जिस से भीम की जांच बच गई।
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