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कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण सेवानिवृत्ति लाभ है। आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (DA) का 12% EPF में जमा होता है, जिसमें से कंपनी का 8.33% हिस्सा EPS में जाता है। रिटायरमेंट के बाद पेंशन का लाभ लेने के लिए कम से कम 10 वर्षों तक EPS में योगदान आवश्यक है।
EPS से पेंशन की गणना कैसे होती है?
EPS से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन की गणना निम्नलिखित फॉर्मूले से की जाती है:
EPS = औसत वेतन × पेंशन योग्य सेवा / 70
- औसत वेतन: यह पिछले 12 महीनों के औसत बेसिक सैलरी और DA का कुल योग होता है।
- पेंशन योग्य सेवा: यह आपके द्वारा किए गए कुल काम के वर्षों को दर्शाता है। अधिकतम सीमा 35 वर्ष है।
उदाहरण से समझें:
यदि आपकी औसत सैलरी ₹15,000 है और आपने 35 वर्षों तक काम किया है, तो आपकी मासिक पेंशन होगी:
EPS = ₹15,000 × 35 / 70 = ₹7,500 प्रति माह।
अधिकतम पेंशन ₹7,500 प्रति माह और न्यूनतम पेंशन ₹1,000 प्रति माह हो सकती है।
EPS-95 पेंशन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
- अधिकतम वेतन सीमा: वर्तमान में यह ₹15,000 है।
- योग्यता अवधि: EPS से पेंशन का लाभ 10 वर्षों के न्यूनतम योगदान के बाद ही मिलता है।
- 1995 से लागू: यह योजना 15 नवंबर 1995 के बाद संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए लागू हुई थी।
यदि 10 वर्षों से कम योगदान है:
अगर किसी कर्मचारी ने EPS में 10 वर्षों से कम योगदान दिया है और वह भविष्य में काम नहीं करना चाहता है, तो वह अपना पूरा योगदान फुल एंड फाइनल सेटलमेंट के तहत निकाल सकता है।
कर्मचारी पेंशन में सुधार की मांग:
वर्तमान पेंशन सीमा को बढ़ाने और महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए औसत वेतन की अधिकतम सीमा में संशोधन की मांग की जा रही है। यह कर्मचारियों के लिए बेहतर रिटायरमेंट लाभ सुनिश्चित करने का प्रयास है।