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BY HARSHUL YADAV
बिहार में जहरीली शराब ने लगभग 48 लोगों की जान ले ली है। इसके अलावा, कई लोग अपनी दृष्टि भी खो चुके हैं। देश भर में जहरीली शराब रोज़ाना कई लोगों की ज़िंदगी ले रही है। आइए जानें कि जहरीली शराब कैसे बनाई जाती है और बिहार में लोगों की मौत का कारण क्या है।
शराब ज़हरीली क्यों बनती है?
पहले, सरकारी अनुबंध पर उपलब्ध देशी शराब डिस्टिलरी प्लांट से आपूर्ति की जाती थी। इसे एक निश्चित तापमान पर डिस्टिलेशन के माध्यम से बनाया जाता था, ताकि केवल एथिल अल्कोहल (इथेनॉल) मौजूद रहे। लोग केवल इस प्रकार की शराब पीकर नशे में धुत होते थे। लेकिन कच्ची या नकली शराब बनाने में कई प्रकार के खतरनाक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है, जिनका कोई निश्चित तापमान नहीं होता।
जहरीली शराब बनाने में विभिन्न प्रकार के रसायनों का उपयोग किया जाता है। मेथिल अल्कोहल सबसे सामान्य और खतरनाक पदार्थ है जो जहरीली शराब बनाने में इस्तेमाल होता है। यह एथिल अल्कोहल (जो पेय पदार्थों में उपयोग होता है) के समान दिखता है और इसका स्वाद भी लगभग समान होता है, लेकिन यह अत्यंत ज़हरीला है। इसके अलावा, यह अल्कोहल सफाई और अन्य औद्योगिक कार्यों में उपयोग किया जाता है। इसे पीने से अंधापन और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। कभी-कभी जहरीली शराब बनाने में रंग, थिनर और कीटनाशकों जैसे अन्य ज़हरीले पदार्थों का भी उपयोग किया जाता है।
मेथिल अल्कोहल का मानव शरीर पर प्रभाव क्या है?
डॉक्टरों के अनुसार, मेथिल अल्कोहल मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट करता है। यह शरीर में निष्क्रियता पैदा करता है और अंधेपन की समस्या भी उत्पन्न करता है। यदि इसका उपयोग बड़े मात्रा में और लंबे समय तक किया जाए तो यह मौत का कारण भी बन सकता है। जब यह मानव शरीर में प्रवेश करता है, तो जिगर इसे मेटाबोलाइज़ करके फॉर्मलडिहाइड बनाता है, जो मानव शरीर के लिए घातक होता है।
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