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अपनी संपत्ति किराए पर देने का सही तरीका: संपत्ति कानून में कुछ नियम हैं, जहां किरायेदार किसी संपत्ति पर लगातार 12 साल तक रहने के बाद उस पर अधिकार का दावा कर सकता है। हालांकि, इसकी शर्तें काफी सख्त हैं, लेकिन आपकी संपत्ति विवाद में आ सकती है।
कई बार लोग अपने घर का खाली कमरा या पूरा घर किसी को किराए पर दे देते हैं। ताकि उनकी आमदनी होती रहे. क्योंकि लेकिन दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में प्रॉपर्टी खरीदना काफी महंगा सौदा है। क्योंकि यहां का किराया आम शहरों से ज्यादा है. लेकिन, कई बार प्रॉपर्टी का मालिक मकान किराए पर देने के बाद सालों तक उसकी देखभाल नहीं करता है। उन्हें सिर्फ उस किराए से मतलब है जो हर माह खाते में पहुंचता है।
ये लापरवाही है और किसी दिन बहुत भारी पड़ सकती है. संपत्ति कानून में कुछ ऐसे नियम हैं, जहां किरायेदार किसी संपत्ति पर लगातार 12 साल तक रहने के बाद उस पर अधिकार का दावा कर सकता है। हालांकि, इसकी शर्तें काफी सख्त हैं, लेकिन आपकी संपत्ति विवाद में आ सकती है।
प्रतिकूल कब्जे का कानून ब्रिटिश काल का है। अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो यह जमीन पर अवैध कब्जे का कानून है. हालाँकि, ऊपर दी गई परिस्थितियों में इसे स्वीकार किया जाता है। 12 साल का कानून सरकारी संपत्ति पर लागू नहीं होता है। यह बहुत पुराने कानून के तहत किया गया है. कई बार इसके कारण मालिकों को अपनी संपत्ति से हाथ धोना पड़ता है। लंबे समय तक किराए पर रहने वाले लोग कई बार इसका इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं। यहीं पर मकान मालिक को सावधान रहने की जरूरत है।
क्या है नियम
यदि संपत्ति पर शांतिपूर्ण तरीके से कब्जा किया गया है और मकान मालिक को भी इसकी जानकारी है, तो प्रतिकूल कब्जे के तहत संपत्ति के स्वामित्व का दावा किया जा सकता है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि मकान मालिक ने 12 साल की अवधि के दौरान उस कब्जे को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया हो. यानी यह साबित करना भी जरूरी है कि संपत्ति पर कब्जा लगातार बना हुआ था और उसमें कोई तोड़-फोड़ नहीं हुई थी. अतिक्रमणकर्ता को संपत्ति विलेख, कर रसीद, बिजली या पानी का बिल, गवाहों के शपथ पत्र आदि की भी आवश्यकता होती है।
सुरक्षा का तरीका
अगर आप अपना घर किराए पर देने जा रहे हैं तो रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवा लें, यह 11 महीने के लिए होता है और इसलिए इसे हर 11 महीने में रिन्यू कराना पड़ता है, जिसे प्रॉपर्टी पर लगातार कब्जे में रुकावट माना जाएगा। दूसरा आप समय-समय पर किरायेदार को बदल सकते हैं. आपको अपनी संपत्ति पर हमेशा नजर रखनी चाहिए कि वहां कोई अवैध अतिक्रमण तो नहीं किया गया है. किसी पर भरोसा करना और संपत्ति को यूं ही छोड़ देना आपके लिए नुकसान का कारण बन सकता है।
किरायेदार से मकान वापस लेने के उपाय
अगर आपको लगता है कि किरायेदार आपके घर या दुकान पर कब्जा कर सकता है तो ऐसी स्थिति में आप इन तरीकों का इस्तेमाल करके उससे घर खाली करवा सकते हैं।
यदि किरायेदार किराया नहीं देता है तो उसका बिजली-पानी का कनेक्शन कतई न काटा जाए। ऐसे में वह अपना कनेक्शन पर्सनली ले सकते हैं.
संपत्ति के कागजात हमेशा अपने नाम से बनवाएं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो किरायेदार आपको परेशान कर सकता है.
आप किरायेदार पर संपत्ति खाली करने का दबाव डालते हैं। इसके लिए आप पुलिस की मदद भी ले सकते हैं.
किरायेदार को मकान खाली करने का नोटिस भेजते रहें।
नोटिस मिलने के बाद भी अगर वह मकान खाली नहीं करता है तो आपको सिविल कोर्ट में याचिका दायर करनी चाहिए. जिसके बाद आपको कानूनी तौर पर घर खाली करने का अधिकार मिल जाएगा.
भारतीय संविधान की धारा 103 आईपीसी के तहत, यदि कोई किरायेदार आपके घर पर कब्जा कर लेता है, तो आप उसे बेदखल करने के लिए बल का प्रयोग भी कर सकते हैं।
(pc rightsofemployees)