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केंद्र सरकार ने मकान किराएदारी से जुड़ी आय के प्रबंधन को पारदर्शी और सख्त बनाने के लिए Income from House Property के तहत नई कर-व्यवस्था लागू करने की घोषणा की है। अप्रैल 2025 से लागू होने वाले इन नियमों का मुख्य उद्देश्य टैक्स चोरी रोकना और किराएदारी के क्षेत्र में पारदर्शिता लाना है।
मुख्य बिंदु:
- किराया आय पर टैक्स अनिवार्य:
- मकान मालिकों को अब अपनी किराया आय को आयकर रिटर्न (ITR) में दिखाना होगा।
- 30% तक टैक्स डिडक्शन की सुविधा:
- प्रॉपर्टी के रखरखाव और मरम्मत के खर्चों के लिए 30% तक की टैक्स छूट दी जाएगी।
- कड़ी सजा का प्रावधान:
- आय छुपाने या टैक्स भुगतान में चूक करने पर कड़े दंड लागू किए जाएंगे।
- समय सीमा:
- नए प्रावधान 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे।
किराया आय पर टैक्स की गणना कैसे होगी?
Income from House Property के तहत निम्नलिखित कदम अपनाए जाएंगे:
- प्रॉपर्टी वैल्यू का निर्धारण:
- प्रॉपर्टी की कुल वार्षिक किराया आय का हिसाब किया जाएगा।
- रखरखाव खर्च का दावा:
- मकान मालिक रखरखाव, मरम्मत, और प्रॉपर्टी से जुड़े अन्य खर्चों का दावा कर सकेंगे।
- नेट वैल्यू:
- प्रॉपर्टी की नेट आय (कुल आय - 30% छूट) पर टैक्स लागू होगा।
सरकार का उद्देश्य:
- टैक्स चोरी पर लगाम लगाना:
- कई मकान मालिक किराया आय को छुपाकर टैक्स से बचते थे।
- पारदर्शिता बढ़ाना:
- मकान मालिक और किराएदारी क्षेत्र में अधिक कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- सरकारी खजाने को बढ़ावा:
- सही आयकर प्रबंधन से सरकारी खजाने में वृद्धि।
चुनौतियां और राहत:
- चुनौती:
- जिन मकान मालिकों ने अब तक किराया आय छुपाई थी, उन्हें अपनी पूरी आय रिपोर्ट करनी होगी।
- राहत:
- 30% टैक्स छूट और रखरखाव खर्च का दावा करने की सुविधा से मकान मालिकों को कुछ राहत मिलेगी।
नए नियमों का प्रभाव:
यह बदलाव खासतौर पर उन मकान मालिकों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, जो टैक्स भुगतान से बचते रहे हैं। हालांकि, यह कदम किराएदारी के क्षेत्र में पारदर्शिता और सरकारी राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा।
क्या करें मकान मालिक?
- अपने वित्तीय दस्तावेज अपडेट रखें।
- किराएदारी अनुबंधों को कानूनी रूप से पंजीकृत करें।
- टैक्स सलाहकार की मदद से अपनी आय का सही हिसाब लगाएं।