High EPS Pension: ईपीएफओ ने पेंशन कैलकुलेशन के लिए सर्कुलर जारी किया

epaper | Friday, 16 Jun 2023 07:04:18 AM
Higher EPS Pension: EPFO ​​issued circular for pension calculation

EPFO High Pension Deadline: ईपीएफए की हायर पेंशन स्कीम (पेंशन स्कीम) पिछले कई महीनों से सुर्खियों में है। पिछले साल नवंबर में ज्यादा पेंशन की सुविधा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से लगातार इस पर चर्चा हो रही है.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की समय सीमा को कई बार बढ़ाया है, और अब यह बहुत करीब है। अब ईपीएफओ ने बताया है कि कैसे अधिक पेंशन की गणना की जाएगी। आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं...

श्रम मंत्रालय ने यह बात बताई थी

इससे पहले पिछले महीने श्रम मंत्रालय ने भी अधिक पेंशन की गणना को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया था। श्रम मंत्रालय ने कहा था कि पीएफ में नियोक्ता के कुल 12 फीसदी योगदान में से 1.16 फीसदी अतिरिक्त योगदान का इस्तेमाल उच्च पेंशन की गणना के लिए किया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट के 4 नवंबर, 2022 के फैसले के अनुरूप होगा। इसके साथ ही श्रम मंत्रालय ने यह भी बताया था कि कर्मचारी पेंशन योजना के सब्सक्राइबर्स पर बोझ कम करने का यह कदम रेट्रोस्पेक्टिव होगा, यानी यह फैसला इसके आने के दिन से नहीं, बल्कि पिछले दिनों से लागू होगा. .

ऐसे होगी पेंशन की गणना

अब ईपीएफओ ने इस बारे में विस्तार से बताया है। ईपीएफओ ने कहा है कि एक सितंबर 2014 से पहले सेवानिवृत्त होने वालों के लिए पेंशन की गणना सेवानिवृत्ति या पेंशन कोष से बाहर निकलने की तारीख से 12 महीने पहले तक के औसत मासिक वेतन के आधार पर की जाएगी। वहीं जो लोग इस तारीख के बाद सेवानिवृत्त होंगे, उनकी गणना सेवानिवृत्ति के 60 महीने पहले के औसत मासिक वेतन के आधार पर की जाएगी।

इतने ही दिन शेष हैं

अधिक पेंशन का विकल्प चुनने की समय सीमा 03 मई को समाप्त हो रही थी। ईपीएफओ ने इसे 26 जून 2023 तक बढ़ाया था। इसकी समय सीमा दूसरी बार बढ़ाई गई थी। सबसे पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर 2022 को दिए एक आदेश में इस संबंध में 3 मार्च तक की समय सीमा तय की थी. ईपीएफओ ने तब उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की समय सीमा 3 मई तक बढ़ा दी थी। अब इसकी समय सीमा 26 जून को खत्म हो रही है।

यहां से पैसा पेंशन फंड में जाएगा

मंत्रालय ने बताया था कि कर्मचारी भविष्य निधि और अन्य प्रावधान अधिनियम के साथ ही सामाजिक सुरक्षा संहिता में कहा गया है कि पेंशन फंड के लिए कर्मचारियों से अंशदान नहीं लिया जा सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि पेंशन फंड में नियोक्ताओं के 12 प्रतिशत अंशदान से अतिरिक्त 1.16 प्रतिशत लिया जाएगा, जो भविष्य निधि में जा रहा है.

हाथ में वेतन प्रभावित नहीं होगा

आपको बता दें कि ईपीएस में कर्मचारी अपनी तरफ से कोई योगदान नहीं करता है। कंपनी द्वारा किए गए कुल 12 फीसदी योगदान में से केवल 8.33 फीसदी ईपीएस में जाता है। कंपनी के योगदान में जो भी राशि इससे अधिक होती है, वह ईपीएफ में जाती है। श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ईपीएस में बढ़ा हुआ योगदान कंपनी के हिस्से से भी जाएगा, यानी अगर आप ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनते हैं तो भी टेक होम सैलरी या इन हैंड सैलरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

ऐसे में नुकसान होगा

हालांकि इसके नुकसान भी हैं। अगर आप अधिक पेंशन का विकल्प चुनते हैं तो कंपनी द्वारा पीएफ में जमा राशि कम होगी, जिसका असर आपके पीएफ फंड पर पड़ेगा। कर्मचारियों को पीएफ में चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ मिलता है. अब चूंकि पीएफ का हिस्सा ईपीएस में जाएगा, इसलिए कंपाउंडिंग का फायदा भी कम होगा। इसी तरह रिटायरमेंट या पहले ही नौकरी छोड़ने पर पीएफ से जो एकमुश्त राशि मिलती है, ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनने पर यह राशि भी प्रभावित होगी।



 


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