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PC: NEWS24
गरुड़ पुराण के अनुसार, कलयुग में मनुष्य की आयु सौ वर्ष बताई गई है जो कि धीरे धीरे कम होती जाएगी। हालाँकि, आधुनिक समय में, बहुत से लोग बहुत कम उम्र में ही मर जाते हैं। गरुड़ पुराण बताता है कि असामयिक मृत्यु तब होती है जब कोई व्यक्ति अपने सामाजिक वर्ग या वर्ण के अनुसार गलत काम करता है।
गरुड़ पुराण बताता है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जैसे विभिन्न सामाजिक वर्गों में असामयिक मृत्यु क्यों होती है। इसमें उल्लेख किया गया है कि जब कोई व्यक्ति अपना प्राकृतिक जीवनकाल पूरा कर लेता है और सामान्य रूप से मर जाता है, तो उसे प्राकृतिक मृत्यु कहा जाता है। दूसरी ओर, दुर्घटनाओं, बीमारियों या अन्य अप्रत्याशित घटनाओं के कारण होने वाली मौतों को अकाल मृत्यु माना जाता है। गरुड़ पुराण इस बारे में जानकारी देता है कि अकाल मृत्यु क्यों होती है साथ ही अकाल मृत्यु के बाद आत्मा को कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क भोगना पड़ता है ये भी बताया गया है।
गरुड़ पुराण क्या कहता है?
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु पक्षियों के राजा गरुड़ को समझाते हैं कि मृत्यु जीवों के पास तभी आती है जब उनका पूर्वनिर्धारित जीवनकाल पूरा हो जाता है और वे उन्हें नश्वर संसार से दूर ले जाती हैं। वेदों में कहा गया है कि कलयुग में मनुष्य सौ साल तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन जो लोग पाप कर्म करते हैं, वे जल्दी ही मर जाते हैं। जो वेदों का ज्ञान न होने के कारण वंश परंपरा के सदाचार का पालन नहीं करता, जो लोग आलस्य के कारण अपने कर्तव्यों का त्याग करते हैं, या जो गलत कामों का रुख करते हैं, वे अपना जीवनकाल खो देते हैं। इसके अलावा,जो जिस-किसी के घर में भोजन कर लेता है और जो परस्त्री में अनुरक्त रहता है, इस प्रकार के अन्य महादोषों से मनुष्य की आयु क्षीण हो जाती है।।
वर्ण के हिसाब से होती है अकाल मृत्यु
गरुड़ पुराण के अनुसार, जो ब्राह्मण धार्मिक अनुष्ठानों का अनादर करते हैं, अशुद्ध, नास्तिक, धोखेबाज और दुर्भावनापूर्ण होते हैं, वे असामयिक मृत्यु को प्राप्त होते हैं और यम के लोक में ले जाए जाते हैं। जो क्षत्रिय अपनी प्रजा की रक्षा करने में विफल रहते हैं, धार्मिक आचरण को त्याग देते हैं, या दुर्गुणों के आदी हो जाते हैं, उन्हें भी अपने कुकर्मों के लिए यम द्वारा दंड का सामना करना पड़ता है। कहा जाता है कि दोषी ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों ही मृत्यु के बाद यम की यातना से पीड़ित होते हैं। इसी तरह, जो लोग अपने कर्तव्यों को त्याग कर दूसरों के काम में लग जाते हैं, खासकर अगर कोई शूद्र उच्च जातियों की सेवा करना छोड़ देता है, तो उन्हें भी यम के लोक में जाना पड़ता है।
असामयिक मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?
गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि जो कोई भी असामयिक मृत्यु को प्राप्त होता है, उसे घोर पाप का भागीदार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसी आत्माएँ, अपने नियत जीवन चक्र को पूरा न करने के कारण न तो स्वर्ग प्राप्त करती हैं और न ही नर्क। यदि कोई व्यक्ति असामयिक मृत्यु को प्राप्त होता है, तो उसकी आत्मा भूत, प्रेत या पिशाच के रूप में प्रेत योनियों में भटक सकती है। यदि कोई विवाहित महिला असामयिक मृत्यु को प्राप्त होती है, तो उसकी आत्मा भटकती हुई चुड़ैल (महिला आत्मा) बन सकती है। ऐसा माना जाता है कि जो अविवाहित महिलाएं असमय मृत्यु का सामना करती हैं, उनकी आत्मा देवी के रूप में भटकती है।
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