Garud Puran: सर्वपितृ अमावस्या पर कर रहे हैं पितरों का श्राद्ध, तो भोजन से जुड़े ये 5 नियमों का जरूर रखें ध्यान

Samachar Jagat | Monday, 30 Sep 2024 10:32:12 AM
Garud Puran: If you are performing the shraddha of your ancestors on Sarvapitre Amavasya, then keep in mind these 5 rules related to food

pc: navbharattimes

सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर, बुधवार को है। इस दिन लोग पितरों का तर्पण करते हैं। गरुड़ पुराण सहित के अनुसार पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें शांति और तृप्ति मिलती है। आप भी अगर सर्वपितृ अमावस्या पर  अपने पितरों का तर्पण कर रहे हैं तो आपको कुछ नियमों का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसा करने से  आपके पितरों की आत्मा को मुक्ति मिल सकती है।

​केले के पत्ते पर ना परोसें भोजन

पितृपक्ष में  पितरों का श्राद्ध करते समय आपको एक बात ध्यान में रखनी है कि कभी भी केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन नहीं परोसना चाहिए। इसके बजाय चांदी, कांसे, तांबे के के बर्तनों में भोजन परोसें। 

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​श्राद्ध भोजन में करें तिल का इस्तेमाल​

पितरों के श्राद्ध के लिए भोजन बनाते समय तिल का प्रयोग जरूर करना चाहिए। तिल पिशाचों से श्राद्ध के भोजन की रक्षा करते हैं।  श्राद्ध भोजन में गंगाजल, शहद, दूध भी मिलाना चाहिए। 

​श्राद्ध के समय दरवाजे पर कोई आए तो कराएं भोजन​

आप श्राद्ध पर पितरों के लिए भोजन बना रहे हैं और आपके घर ब्राह्मण भी भोज कर रहे हैं। उसी समय अगर कोई भूखा या भिखारी भोजन मांगे तो सबसे पहले उसी को भोजन करवाएं। ऐसा करने से पितरों की असीम कृपा मिलती है। गरुड़ पुराण के अनुसार पितृपक्ष में पितर किसी भी रूप में धरती पर आ सकते हैं।

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​पशु-पक्षियों को दें भोजन 

श्राद्ध का भोजन पशु-पक्षियों को भी कराना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। 


रात और शाम को ना करवाएं श्राद्ध भोजन​

पितरों का श्राद्ध सुबह या दोपहर के समय ही करें। श्राद्ध का भोजन शाम और रात्रि के समय नहीं कराना चाहिए। शाम और रात्रि के समय भटकती अतृप्त आत्माएं विचरण के लिए निकलती हैं जो आपके घर आ सकती है। 

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