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हितेश चिमनलाल दोशी की प्रेरक कहानी बताती है कि कैसे एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने सोलर इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। 1985 में, उन्होंने केवल ₹5000 का उधार लेकर प्रेशर और टेंपरेचर गेज बेचने का छोटा कारोबार शुरू किया। आज उनकी कंपनी वारी एनर्जी का बाजार मूल्य ₹71,244 करोड़ तक पहुंच गया है। हाल ही में वारी एनर्जी के IPO ने बाजार में धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए निवेशकों को 70% तक का रिटर्न दिया।
सफर की शुरुआत और चुनौतियां
महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे हितेश के पिता किराने की दुकान चलाते थे। मुंबई आकर पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने 1985 में वारी नामक कंपनी की स्थापना की, जिसका नाम उनके गांव के मंदिर पर रखा गया। सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
अंतर्राष्ट्रीय पहचान की शुरुआत
2007 में, वारी एनर्जी ने सोलर इक्विपमेंट निर्माण शुरू किया। अमेरिका और यूरोप से बड़े ऑर्डर मिलने लगे, जिससे कंपनी को जबरदस्त वृद्धि का अनुभव हुआ। वारी एनर्जी अब भारत की सबसे बड़ी सोलर पैनल निर्माता कंपनियों में से एक बन चुकी है।
बाजार और संपत्ति में तेजी
हाल के IPO ने दोशी परिवार की संपत्ति को 5 अरब डॉलर (₹500 करोड़) तक पहुंचा दिया। वारी एनर्जीज अब रिन्यूएबल टेक्नोलॉजी और एनर्जी स्टोरेज में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है। हितेश की सफलता उनकी मेहनत, दृष्टिकोण, और साहस का परिणाम है।