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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और केंद्र सरकार के खिलाफ ईपीएस-95 पेंशनर्स न्यूनतम और उच्च पेंशन के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन में शामिल पेंशनर्स में से कई की उम्र 70 से 75 साल से अधिक हो चुकी है।
वरिष्ठ नागरिकों की चुनौतियां
पेंशनर मोनीश गुहा का कहना है कि इस उम्र में न केवल कानूनी लड़ाई लड़ना बल्कि बार-बार आंदोलन में शामिल होना भी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कुछ पेंशनर्स जो आंदोलन में सक्रिय नहीं हैं, उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ता है।
आंदोलन में नेतृत्व की भूमिका
तपन कुमार दास ने बताया कि नेशनल एक्शन कमेटी (NAC) पेंशन सुधार के लिए काम कर रही है, लेकिन अन्य संगठनों से उम्मीदें पूरी नहीं हो रही हैं। दास ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि सभी वरिष्ठ नागरिक आंदोलन में भाग लें या अदालत जाएं, क्योंकि उम्र संबंधी समस्याओं के कारण यह संभव नहीं है।
पेंशन जागरूकता का उद्देश्य
मोनिश गुहा ने कहा कि उनकी पोस्ट का मुख्य उद्देश्य पेंशनर्स को उनके अधिकारों और आंदोलन के उद्देश्यों के प्रति जागरूक करना है। हालांकि, कुछ समूह ऐसे भी हैं जो न तो आंदोलन में भाग लेते हैं और न ही कानूनी कार्रवाई का समर्थन करते हैं।
समस्याएं और समाधान
वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस आंदोलन में जुड़ना और लगातार प्रयास करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस स्थिति में जागरूकता और सही सलाह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।