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pc: jagran
विजयादशमी या दशहरा 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जा रहा है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। जलेबी के बिना दशहरा उत्सव अधूरा है। जलेबी हिंदू परंपरा में महत्वपूर्ण महत्व रखती है। भक्त जलेबी का स्वाद लेते हैं और भगवान राम की जीत की ख़ुशी मनाते हैं, और एक उज्जवल भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। यह प्राचीन रिवाज परिवारों और समुदायों को जोड़ता है, बंधनों को मजबूत करता है और मिठास फैलाता है। आइए नीचे जानें कि भक्त विजयादशमी पर जलेबी क्यों खाते हैं।
दशहरा 2024: विजयादशमी पर जलेबी खाने के पीछे क्या रिवाज है?
हिंदू धर्म में, विजयादशमी (दशहरा) पर जलेबी खाना एक पूजनीय रिवाज है जो भगवान राम की रावण पर विजय का स्मरण कराता है। किंवदंती के अनुसार, राक्षस राजा को हराने के बाद, भगवान राम अयोध्या लौटे और उनका स्वागत जलेबी से किया गया, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।जलेबी पहले देवी देवताओं को चढ़ाई गई और फिर लोगों के बीच बांटी गई जिससे खुशी और आनंद फैल गया। यह परंपरा तब से पीढ़ियों से चली आ रही है, और जलेबी दशहरे का अभिन्न अंग बन गई है।
दशहरे पर जलेबी का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं में गहराई से निहित है। मिठाई का सुनहरा रंग अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि इसकी कुरकुरी बनावट बुरी शक्तियों के टूटने का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन जलेबी खाने से समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक विकास होता है। यह मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करती है, जिससे व्यक्ति नए सिरे से शुरुआत कर सकता है। जलेबी खाकर, भक्त भगवान राम की जीत पर खुशी मनाते हैं और उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। यह प्राचीन रिवाज परिवारों और समुदायों को एकजुट करता है, बंधनों को मजबूत करता है और मिठास फैलाती है।
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