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pc: asianetnews
हर साल नवरात्रि के बाद दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस दिन रावण का पुतला भी जलाया जाता है जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है । रामायण जिसे महर्षि वाल्मिकी ने लिखा था उसमे 10 सिरों वाले रावण का वर्णन है, इसके बारे में हम सभी जानते हैं लेकिन एक रामायण ऐसी भी है, जिसमें 1 हजार सिर वाले महारावण के बारे में जानकारी दी गई है, जिसका वध स्वयं देवी सीता ने किया था। इसी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं
किस ग्रंथ में मिलता है महारावण का वर्णन?
सनातन धर्म में भगवान राम से जुड़े अनेकों ग्रंथ है। इन सभी में रामायण और रामचरित्रमानस सबसे अधिक लोकप्रिय है। इनमें से आनंद रामायण भीहै। इस रामायण में कई ऐसी कथाएं हैं जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।
कौन था महारावण?
आनंद रामायण के अनुसार, श्रीराम ने रावण का वध किया और फिर देवी सीता को अपने साथ वापस अयोध्या आ गए। उनके पराक्रम को देख कर साधू संतों ने राम की बेहद प्रशंसा की। ये देख देवी सीता को हंसी आ गई। राम जी ने कारण पूछा तो देवी सीता राम जी को बताया कि ‘विश्रवा मुनि की पत्नी कैकसी के दो पुत्र थे। इन दोनों का ही नाम रावण था, और बड़े का नाम सहस्रवदन रावण, उसके 1 हजार सिर हैं। दूसरा दशानन रावण था जिसका आप वध कर चुके हैं। हजार सिर वाले रावण को महारावण भी कहते हैं। वे बेहद ही ताकतवर है। ’
भगवान श्रीराम पहुंचे महारावण से युद्ध करने
भगवान श्रीराम फिर महारावण से युद्ध करने के लिए अपनी सेना लेकर पहुंचे। तब दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान श्रीराम बेहोश हो गए। जब देवी सीता ने देखा कि राम संकट में हैं तो उन्होंने बेहद ही विराट और भयंकर रूप धारण कर लिया। इसके बाद हाथ में तलवार लेकर रावण के सभी सिर काट दिए और उसका वध कर दिया। ये देख श्रीराम ने एक हजार नामों से देवी सीता की स्तुति की।
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