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डीएम का परिचय और महत्व
डीएम (जिला मजिस्ट्रेट) का पद प्रशासनिक प्रणाली में सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है। 1772 में वारेन हेस्टिंग्स द्वारा इस पद की शुरुआत की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य भूमि राजस्व वसूलना और जिले में प्रशासन को व्यवस्थित करना था। आज यह पद जिले में कानून व्यवस्था, विकास कार्यों और आपातकालीन प्रबंधन का केंद्र बिंदु है।
डीएम बनने की प्रक्रिया
- सिविल सेवा परीक्षा: डीएम बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है।
- आईएएस चयन: परीक्षा के माध्यम से उम्मीदवार को IAS अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- प्रशिक्षण और नियुक्ति: इसके बाद अधिकारी को जिले में डीएम के रूप में तैनात किया जाता है।
डीएम की सैलरी और भत्ते
- मूल वेतन: ₹80,000 प्रति माह
- भत्ते:
- यात्रा भत्ता (टीए)
- महंगाई भत्ता (डीए)
- आवास भत्ता (एचआरए)
- कुल सैलरी: भत्तों सहित ₹1 लाख से अधिक
डीएम को मिलने वाली सुविधाएं
- सरकारी बंगला: एक बड़ा और सुविधायुक्त घर
- सरकारी वाहन: कार्यक्षेत्र के लिए वाहन और ड्राइवर
- अन्य स्टाफ: माली, कुक, चपरासी आदि की सेवाएं
डीएम की जिम्मेदारियां और शक्तियां
- कानून व्यवस्था: जिले में शांति बनाए रखना।
- भूमि और राजस्व प्रबंधन: भूमि विवादों का समाधान और राजस्व संग्रह।
- विकास कार्य: सरकारी योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन।
- आपदा प्रबंधन: किसी भी संकट या आपात स्थिति का समाधान।