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भारत में सीमेंट की कीमतें पिछले पांच सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। इसका मुख्य कारण बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और मांग में सुस्ती है। हालांकि, इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में सुधार से भविष्य में मांग बढ़ने की संभावना है।
सीमेंट की कीमतों में गिरावट के कारण
सीमेंट उद्योग में तीव्र प्रतिस्पर्धा और कमजोर मांग के चलते कंपनियां कीमतें स्थिर रखने या कम करने के लिए मजबूर हुई हैं। अधिक आपूर्ति और सीमित मांग ने उद्योग को लाभ घटाने पर मजबूर कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, इन परिस्थितियों के कारण कीमतें पिछले पांच वर्षों के निचले स्तर तक गिर गई हैं।
भविष्य में सुधार की संभावना
रिपोर्ट में बताया गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, ग्रामीण और शहरी आवास योजनाओं, और रियल एस्टेट सेक्टर के पुनरुद्धार के कारण सीमेंट की मांग 2025-26 तक बढ़ सकती है। यह सुधार सीमेंट कंपनियों को कीमतें बढ़ाने और संतुलन बनाने में मदद करेगा।
2024-25 में सुस्ती का अनुमान
हालांकि, अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 में मांग सुस्त रहने की संभावना है। इस दौरान सीमेंट उद्योग अपनी उत्पादन क्षमता का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में काम करेगा, जिससे मांग और आपूर्ति का अंतर कम हो सके।
सीमेंट उत्पादन क्षमता में वृद्धि
उद्योग 2025 से 2030 के बीच लगभग 90 मिलियन टन अतिरिक्त सीमेंट उत्पादन क्षमता जोड़ने की योजना बना रहा है। 2027-28 तक यह क्षमता 723 मिलियन टन तक पहुंच सकती है, जिससे मांग में सुधार और आपूर्ति संतुलित करने में मदद मिलेगी।
आने वाले वर्षों का पूर्वानुमान
जब तक मांग में बड़ा सुधार नहीं होता और आपूर्ति की स्थिति स्थिर नहीं होती, तब तक कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और आवासीय प्रोजेक्ट्स में वृद्धि से दीर्घकालिक सुधार की उम्मीद है।