- SHARE
-
PC: abplive
कॉर्पोरेट जीवन अक्सर व्यक्ति के दिन और रात को अस्त-व्यस्त कर देता है, क्योंकि व्यक्ति बीजी लाइफ के बीच तालमेल बिठाना लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है। कई कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए शिफ्ट में काम करना एक आम ज़रूरत है, खास तौर पर हेल्थकेयर और कॉल सेंटर जैसे क्षेत्रों में, जहाँ 24 घंटे काम करना मानक है। कुछ लोग तो पूरे साल नाईट शिफ्ट में भी काम करते हैं। हालाँकि, हाल ही में हुए शोध से पता चलता है कि नाईट शिफ्ट में काम करने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि नाईट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा काफी ज़्यादा होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर स्वाभाविक रूप से रात में आराम करने के लिए इच्छुक होता है। इतने घंटों तक काम करने से यह प्राकृतिक लय बाधित हो सकती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, खासकर उम्र बढ़ने के साथ खतरा और अधिक होता है ।
PC: TV9HINDI
जामा जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में नियमित घंटों में काम करने वाली महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना तीन गुना ज़्यादा होती है। अध्ययन इस बढ़े हुए जोखिम को शरीर की आंतरिक घड़ी की समस्याओं से जोड़ता है, जिससे कैंसर कोशिकाओं और ट्यूमर का निर्माण हो सकता है।
PC: Aaj Tak
रात में काम करने से कैंसर का ख़तरा क्यों बढ़ जाता है?
रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुदर्शन डे की अंतर्दृष्टि पर प्रकाश डाला गया है, जो बताते हैं कि रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा अधिक होता है। यह मुख्य रूप से मेलाटोनिन के कम स्तर के कारण होता है, यह एक हार्मोन है जो रात में सोते समय बनता है। मेलाटोनिन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोककर और ट्यूमर विकास जीन को प्रभावित करके कैंसर को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि व्यक्ति रात में नहीं सोता है, तो मेलाटोनिन का स्तर कम रहता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करने और कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए रात में नियमित नींद का कार्यक्रम बनाए रखना आवश्यक है।
अपडेट खबरों के लिए हमारा वॉट्सएप चैनल फोलो करें