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Bank निजीकरण समाचार: पिछले कुछ समय में केंद्र सरकार ने कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बड़े बदलाव किए हैं। पिछले तीन साल के अंदर केंद्र की मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 से घटाकर 12 कर दी है.
अब एक बार फिर से कई बैंकों के निजीकरण की चर्चा हो रही है. इस मामले पर सरकार ने कहा है कि बैंकिंग सेक्टर को आज भी एक रणनीतिक सेक्टर के तौर पर मान्यता मिली हुई है. पिछले कुछ समय से बैंकों के निजीकरण को लेकर लगातार खबरें आ रही हैं, जिस पर अब नीति आयोग का बयान आया है. इस मामले पर आयोग ने एक लिस्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि सरकार आने वाले दिनों में किन बैंकों का निजीकरण कर सकती है. साथ ही यह भी बताया गया है कि किन बैंकों के निजीकरण पर फिलहाल विचार नहीं किया जा रहा है.
सरकार इन बैंकों का निजीकरण नहीं करेगी
आपको बता दें कि नीति आयोग ने कुछ ऐसे बैंकों की सूची जारी की है जिनका सरकार निजीकरण नहीं करने जा रही है. ये बैंक हैं भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक।
जानिए किन बैंकों का होगा निजीकरण
आपको बता दें कि सरकार ऊपर दी गई बैंकों की सूची के अलावा सभी बैंकों का निजीकरण करने की योजना बना रही है। नीति आयोग के नोटिस में यह भी कहा गया है कि जो भी बैंक एकीकरण का हिस्सा थे, उन्हें इस सूची से बाहर रखा गया है. वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि सरकार कई सरकारी बैंकों और बीमा कंपनियों का निजीकरण करने की योजना बना रही है. वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार का लक्ष्य विनिवेश के जरिए कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का है.
सरकार जल्द ही आईडीबीआई बैंक का निजीकरण करेगी
आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 45.48 फीसदी है. वहीं, LIC के पास 49.24 फीसदी हिस्सेदारी है. माना जा रहा है कि सरकार आईडीबीआई बैंक में कुछ हिस्सेदारी बेचेगी और एलआईसी कुछ हिस्सेदारी बेचेगी, साथ ही प्रबंधन नियंत्रण भी खरीदार को सौंप दिया जाएगा। सरकार जल्द ही बैंक में बड़ी हिस्सेदारी बेच सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) जल्द ही IDBI बैंक में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित कर सकता है।