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निष्क्रिय खाता: भारत में कोई भी व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुसार कितने भी बैंक खाते खोल सकता है। ऐसे में बचत, चालू या एफडी खाते खोलने की कोई सीमा तय नहीं की गई है।
ऐसे में कई बार लोग जरूरत से ज्यादा बैंक खाते खुलवा लेते हैं और बाद में उन्हें ऑपरेट नहीं करते हैं. लंबे समय तक खाते में कोई लेन-देन नहीं होने की स्थिति में इसे निष्क्रिय कर दिया जाता है।
बैंक अकाउंट को डीएक्टिवेट करने से पहले यह ग्राहकों को मैसेज या कॉल के जरिए जानकारी देता है। अगर आपका अकाउंट भी डीएक्टिवेट हो गया है तो आप उसे दोबारा एक्टिवेट करवा सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले जान लें कि किस तरह के अकाउंट में डीएक्टिवेशन का नियम है।
आमतौर पर बैंक उन खातों को निष्क्रिय की श्रेणी में रखते हैं, जिनमें पिछले दो साल में कोई लेन-देन नहीं हुआ हो. अलग-अलग बैंकों के लिए निष्क्रिय करने की अवधि अलग-अलग हो सकती है। अगर आप अपने निष्क्रिय खाते को सक्रिय करना चाहते हैं, तो आपको बैंक जाकर अपना केवाईसी पूरा करना होगा।
केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने के बाद आप खाते में जमा रकम को वापस ले सकते हैं। इसके साथ ही आप नेट नेट बैंकिंग, एटीएम या मोबाइल बैंकिंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपको अकाउंट की जरूरत नहीं है तो आप अकाउंट को बंद भी कर सकते हैं।
(pc rightsofemployees)