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केंद्र सरकार ने हाउस रेंट रूल्स में बड़े बदलाव किए हैं। अब मकान मालिकों को अपनी किराया आय (House Rent Income) को "Income from House Property" के तहत दिखाना अनिवार्य होगा। यह नया कानून अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। मकान मालिकों को किराया आय पर टैक्स देना होगा, लेकिन इसमें 30% तक टैक्स डिडक्शन की छूट भी मिलेगी।
यह कदम टैक्स चोरी रोकने और आयकर प्रणाली में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024-25 में इन नए प्रावधानों की घोषणा की थी।
मकान मालिकों की बढ़ती जिम्मेदारियां
नए नियमों के अनुसार:
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किराया आय पर टैक्स:
- किराए से होने वाली आय को कुल वार्षिक आय में जोड़ना होगा।
- यह आय "Income from House Property" श्रेणी के तहत आएगी।
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टैक्स गणना में छूट:
- मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी की नेट वैल्यू का 30% तक टैक्स डिडक्शन ले सकते हैं।
- रखरखाव और मरम्मत के खर्चों का भी दावा किया जा सकता है।
नियमों के पालन में सख्ती
- टैक्स न चुकाने या जानकारी छिपाने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
- सरकार ने मकान मालिकों को अप्रैल 2025 तक तैयारी के लिए समय दिया है।
नए नियमों का उद्देश्य
- टैक्स चोरी पर रोकथाम: मकान मालिकों द्वारा आय छुपाने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण।
- पारदर्शिता: मकान मालिकों और सरकार के बीच कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना।
- संपत्ति कर का सही आकलन: सरकारी राजस्व को बढ़ाना।
छूट और राहत
हालांकि नए नियम मकान मालिकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन 30% टैक्स डिडक्शन और अन्य छूटें उन्हें राहत देंगी।