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केंद्र सरकार ने मंगलवार (28 मार्च) को पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के लोकपाल की उम्र सीमा मौजूदा 65 साल से बढ़ाकर अब 70 साल कर दी है। लोकपाल की भूमिका पीएफआरडीए विनियमों के दायरे में आने वाली शिकायतों को प्राप्त करना, उन पर विचार करना और उनके समाधान की सुविधा प्रदान करना है।
ये शिकायतें राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) खातों में पेंशन शेयर के प्रेषण में देरी जैसे मुद्दे हो सकते हैं, भले ही इसे ग्राहक के वेतन से काट लिया गया हो। शिकायतों को पहले केंद्रीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सीजीएमएस) में दर्ज किया जाना चाहिए। समाधान नहीं होने पर लोकपाल को शिकायत की जा सकती है।
पेंशनभोगी निम्नलिखित परिस्थितियों में लोकपाल के पास अपील दायर कर सकते हैं -
नेशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट को शिकायत भेजने के 30 दिनों के भीतर यदि किसी शिकायतकर्ता की शिकायत का समाधान नहीं होता है।
शिकायत सीधे नेशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट के खिलाफ की जाती है और कोई अन्य मध्यस्थ नहीं है। अन्यथा 30 दिनों की दी गई अवधि के भीतर शिकायत अनसुलझी रहती है।
लोकपाल किसी अपील को खारिज कर सकता है यदि उसकी राय में अपील महत्वहीन है। या अपील पीएफआरडीए के मानदंडों के अनुसार विनियम में निर्धारित शर्तों का अनुपालन नहीं कर रही है।
पीएफआरडीए एनपीएस का प्रबंधन करता है
पीएफआरडीए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) का प्रबंधन करता है। 65 से 70 वर्ष की आयु का कोई भी भारतीय नागरिक या भारत का विदेशी नागरिक NPS में शामिल हो सकता है और 75 वर्ष की आयु तक निवेश कर सकता है।
राष्ट्रीय पेंशन योजना क्या है?
NPS को सरकारी कर्मचारियों के लिए जनवरी 2004 में लॉन्च किया गया था। 2009 में इसे सभी वर्ग के लोगों के लिए खोल दिया गया था। कोई भी अपने कामकाजी जीवन के दौरान पेंशन खाते में नियमित योगदान कर सकता है।
वह संचित राशि का एक हिस्सा एक बार में निकाल भी सकता है और शेष राशि का उपयोग सेवानिवृत्ति के बाद नियमित आय प्राप्त करने के लिए कर सकता है। एनपीएस खाता व्यक्ति के निवेश और उस पर मिलने वाले रिटर्न से बढ़ता है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, निजी क्षेत्र के कर्मचारी और आम नागरिक भी इस योजना में निवेश कर सकते हैं।
(photo credit current affairs)