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PC: India news
भारतीय संस्कृति में मृत्यु के बाद कुछ रिचुअल्स फॉलो किए जाते हैं। जैसे अंतिम संस्कार और उसके बाद गरुड़ पुराण का पाठ आदि। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहलू है अगरबत्ती और धूपबत्ती ना जलाने की परंपरा। विशेष रूप से, यह कहा जाता है कि मृत्यु के बाद पहले दो दिनों में अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए। आइए, इसके पीछे के कारणों को समझते हैं:
1. आत्मा की शांति
माना जाता है कि मृतक की आत्मा अपने शरीर को छोड़कर यात्रा पर निकलती है। यदि इन दिनों अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाई जाए तो इस से आत्मा परेशान हो सकती है। यह आत्मा के लिए एक अकारण विकर्षण उत्पन्न करती है, जिस से उसे शांति नहीं मिलती।
2. परिवार की संवेदनाएं
मृत्यु के बाद परिवार के सदस्यों को मानसिक और भावनात्मक दोनों रूप से शान्ति चाहिए होती है। अगरबत्ती जलाने से होने वाली सुगंध और वातावरण को बदलना, परिवार के सदस्यों के लिए ध्यान भंग कर सकता है।
3. पारंपरिक मान्यताएं
भारतीय संस्कृति में, कुछ परंपराएं मृत्यु के बाद के दिनों में सख्ती से निभाई जाती हैं। ये मान्यताएं आत्मा की शांति और परिवार के सदस्यों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
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