- SHARE
-
pc: news24online
महाभारत आकर्षक कहानियों और अनोखी घटनाओं का खजाना है। यह केवल युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं पर दिलचस्प कहानियों, ज्ञान और गहन चर्चाओं का एक विशाल सागर है। ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी महाभारत के कर्ण और अन्य योद्धाओं के पुनरुत्थान से जुड़ी है, जो असंभव लग सकता है, लेकिन वास्तव में सच है। आइए इस कहानी को गहराई से समझें।
एक दिन के लिए जीवत हुए महाभारत के मृत योद्धा
महाभारत के क्रूर युद्ध के बाद, पांडव विजयी हुए और कौरव हार गए। युद्ध के बाद, धृतराष्ट्र, विदुर, कुंती, गांधारी और संजय जंगल में एक आश्रम में रहने लगे। समय के साथ, विदुर का निधन हो गया। एक दिन, ऋषि वेद व्यास उनके आश्रम में आए। इस यात्रा के दौरान, गांधारी ने अपने मृत पुत्रों को देखने की इच्छा व्यक्त की, और कुंती कर्ण को देखना चाहती थी।
कहा जाता है कि यह घटना महाभारत युद्ध की समाप्ति के 15 साल बाद हुई थी। वेद व्यास, गांधारी, कुंती, धृतराष्ट्र और संजय के साथ गंगा के तट पर एकत्र हुए। अपनी योगिक शक्तियों का उपयोग करते हुए, वेद व्यास ने सभी मृत योद्धाओं को एक रात के लिए धरती पर बुलाया।
कुंती के साथ कर्ण का पुनर्मिलन
महाभारत के सबसे महान योद्धाओं में से एक कर्ण ने महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके बिना, महाभारत की कहानी अधूरी रह जाती है। अपनी वीरता और अपार उदारता के लिए जाने जाने वाले कर्ण ने अपने सुरक्षा कवच और बालियाँ भी दान कर दीं। उन्होंने कुंती से वादा किया था कि वह अर्जुन को छोड़कर किसी भी पांडव पर हमला नहीं करेंगे, और उन्होंने इस वादे को निभाया भी था।
वेद व्यास के आह्वान पर, कर्ण गंगा के तट पर प्रकट हुए। अपनी माँ कुंती के साथ उनका पुनर्मिलन एक मार्मिक क्षण था। कुंती कर्ण को वापस जीवित देखकर बहुत खुश हुईं, भले ही थोड़े समय के लिए ही क्यों न हो। कर्ण ने अपनी मां को नमस्कार किया, उनका कुशलक्षेम पूछा और कुंती ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से उनसे मां का प्यार न दे पाने के लिए क्षमा मांगी।
अपडेट खबरों के लिए हमारा वॉट्सएप चैनल फोलो करें