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ललित मोदी, इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के संस्थापक, एक बार फिर सुर्खियों में हैं। करोड़ों रुपये के गबन के आरोपों से घिरे मोदी ने अब वानुअतु की नागरिकता ले ली है और भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में आवेदन दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस खबर की पुष्टि की है। साल 2010 से फरार चल रहे ललित मोदी को भारतीय जांच एजेंसियां भगोड़ा घोषित कर चुकी हैं, लेकिन अब उन्हें भारत वापस लाना और भी मुश्किल हो सकता है।
क्यों भारत के लिए बढ़ गई मुश्किलें?
वानुअतु एक ऐसा देश है जहां भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों की पहुंच नहीं होगी, क्योंकि भारत और वानुअतु के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है। इसका मतलब यह है कि भारत के लिए अब ललित मोदी को कानूनी प्रक्रिया के तहत वापस लाना लगभग असंभव हो जाएगा।
वानुअतु की नागरिकता कैसे मिली?
वानुअतु नागरिकता पाने के लिए गोल्डन पासपोर्ट प्रोग्राम चलाता है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति 1.3 करोड़ रुपये (150,000 अमेरिकी डॉलर) देकर वहां का नागरिक बन सकता है। इस प्रक्रिया में केवल एक महीने का समय लगता है, और नागरिकता प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति को वहां जाने की भी जरूरत नहीं होती। यही कारण है कि वानुअतु, टैक्स हैवन (Tax Haven) के रूप में भी जाना जाता है, जहां न तो आयकर है, न कंपनी कर, और न ही संपत्ति कर। इसके अलावा, यहां का पासपोर्ट 120 से अधिक देशों में वीजा-मुक्त एंट्री की सुविधा भी देता है।
क्या भारत मोदी को वापस ला पाएगा?
हालांकि, भारत सरकार ने यह साफ कर दिया है कि ललित मोदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी, लेकिन वानुअतु की नागरिकता लेने के बाद उन्हें भारत लाना बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार कानूनी और कूटनीतिक रास्तों से इस मामले को कैसे सुलझाती है।
???? क्या ललित मोदी हमेशा के लिए भारतीय कानून की पकड़ से दूर हो जाएंगे? अपनी राय कमेंट में बताएं!