"सिर्फ 72 मिनट में 5 अरब मौतें! न्यूक्लियर वॉर के विनाशकारी प्रभावों पर एनी जैकबसन की चेतावनी – दो देश ही बच पाएंगे"

Preeti Sharma | Tuesday, 22 Apr 2025 09:56:30 PM
5 Billion Could Die in 72 Minutes: Nuclear War Expert Warns Only Two Countries May Survive a Global Catastrophe

एनी जैकबसन की रिपोर्ट में हुआ खुलासा: तीसरे विश्व युद्ध में परमाणु हमला बना सकता है धरती को निर्जन

अगर तीसरा विश्व युद्ध होता है और इसमें परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है, तो पूरी दुनिया को 72 मिनट में विनाश का वो चेहरा देखने को मिलेगा जिसकी कल्पना भी डरावनी है। यह दावा किया है मशहूर इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट और न्यूक्लियर वॉर एक्सपर्ट एनी जैकबसन ने। उन्होंने बताया कि परमाणु हमले के केवल विस्फोट ही नहीं, बल्कि उसके बाद का जलवायु परिवर्तन और रेडिएशन मानव जाति के लिए बड़ा संकट बन जाएगा।

पूरी धरती पर छा जाएगी बर्फ, सूरज की रोशनी भी बन जाएगी ज़हर

एनी जैकबसन के मुताबिक, परमाणु युद्ध के बाद पृथ्वी पर 'न्यूक्लियर विंटर' जैसी स्थिति आ जाएगी। यानी, आकाश में धूल और धुएं के कारण सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंचेगी। तापमान इतना गिर जाएगा कि अधिकांश क्षेत्र बर्फ की चादर से ढक जाएंगे। खेतों में फसलें नहीं उगेंगी, जिससे भुखमरी का भयानक संकट उत्पन्न होगा। इंसान के लिए बाहर निकलना मुश्किल होगा क्योंकि सूरज की रोशनी ओजोन परत के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण जहरीली बन जाएगी।

लोग अंडरग्राउंड रहने को होंगे मजबूर

जैकबसन ने बताया कि इस स्थिति में लोग भूमिगत बंकरों में रहने को मजबूर होंगे। भोजन के एक-एक दाने के लिए लड़ाई होगी और समाज में अराजकता फैल जाएगी। रेडिएशन का स्तर इतना घातक होगा कि खुले वातावरण में जीना नामुमकिन हो जाएगा।

सिर्फ दो देश होंगे सुरक्षित: न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया

परमाणु युद्ध की इस आपदा से केवल दो देश – न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया – ही बच पाएंगे। इसकी वजह है उनकी भौगोलिक स्थिति और स्थिर जलवायु प्रणाली। इन दोनों देशों में फसल उत्पादन की प्रणाली स्थिर रहेगी और तापमान नियंत्रण में बना रहेगा। जैकबसन के अनुसार, यह वैज्ञानिक विश्लेषण कोई नया नहीं, बल्कि 1959-60 में पेंटागन के वैज्ञानिकों द्वारा की गई रिसर्च पर आधारित है जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।

प्रोफेसर ब्रायन टून की रिसर्च का हवाला देते हुए जैकबसन कहती हैं कि परमाणु युद्ध के बाद वैश्विक तापमान में इतनी गिरावट आएगी कि जीवन असंभव हो जाएगा, लेकिन न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जलवायु संतुलन और खाद्य सुरक्षा के कारण अपेक्षाकृत सुरक्षित रहेंगे।



 


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