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इतिहास में कुछ ऐसे हथियारों का विकास हुआ है, जो मानवता के लिए अत्यंत खतरनाक साबित हुए हैं। इसका एक उदाहरण 1945 में देखने को मिला, जब एक ही झटके में लाखों लोग मारे गए। हम बात कर रहे हैं परमाणु बम की, जिसका पहली बार अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के खिलाफ इस्तेमाल किया। 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा, जापान पर 'लिटिल बॉय' नामक परमाणु बम गिराया। हालांकि, अमेरिका के इस विनाशकारी बम के निर्माण के पीछे एक लंबी कहानी है। आइए जानते हैं कि अमेरिका ने दुनिया की आंखों से छिपकर कैसे एक घने जंगल में पहला परमाणु बम तैयार किया।
जब अमेरिका ने अपना पहला परमाणु बम बनाना शुरू किया, तब इसका नाम मैनहट्टन प्रोजेक्ट रखा गया। इसके माध्यम से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुनिया के सबसे विनाशकारी हथियार, परमाणु बम, का विकास किया गया। मैनहट्टन प्रोजेक्ट का केंद्र बिंदु न्यू मेक्सिको के लॉस अलामोस का विशाल जंगल था, जिसे दुनिया की नजरों से दूर रखा गया था। इस परियोजना में अमेरिका के कुछ महान वैज्ञानिक शामिल थे, जिनमें वे यहूदी वैज्ञानिक भी शामिल थे जो जर्मनी से भागकर आए थे। सभी का मिशन एक ऐसा बम बनाना था जो एक पल में पूरे देश को नष्ट कर सके।
मैनहट्टन प्रोजेक्ट की नींव तब रखी गई जब जर्मन वैज्ञानिकों ओटो हहन और फ्रिट्ज स्ट्रोहमान ने यूरेनियम को विभाजित करने का तरीका खोजा। उन्होंने खोज की कि यूरेनियम के नाभिक को तोड़ने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले, हिटलर ने जर्मनी से यहूदियों को निकालना शुरू कर दिया था। इसी बीच, आइंस्टीन के साथ मिलकर अमेरिका ने गुप्त मैनहट्टन प्रोजेक्ट की शुरुआत की। अमेरिका को चिंता थी कि नाजी जर्मनी एक परमाणु बम विकसित कर सकता है, इसलिए राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट ने यह परियोजना शुरू की। मैनहट्टन प्रोजेक्ट की पहली ईंट 1942 में मैनहट्टन, न्यू यॉर्क में रखी गई, लेकिन बाद में इसका मुख्यालय लॉस अलामोस में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां, वैज्ञानिकों की एक टीम ने रॉबर्ट ओppenheimer के नेतृत्व में परमाणु बम के सिद्धांत पर काम करना शुरू किया।
अगले कुछ वर्षों में, अमेरिका ने 'लिटिल बॉय' नामक दुनिया के पहले परमाणु बम का परीक्षण और उत्पादन किया, जिसे हिरोशिमा पर इस्तेमाल किया गया। मैनहट्टन प्रोजेक्ट की सफलता ने द्वितीय विश्व युद्ध का अंत किया, लेकिन यह मानवता के बीच एक विशेष भय पैदा कर गई कि ऐसी स्थिति कभी भी उत्पन्न हो सकती है।
अमेरिका और रूस के पास 90 प्रतिशत परमाणु बम
स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और रूस के पास वर्तमान में दुनिया के 90 प्रतिशत परमाणु बम हैं। इसमें अमेरिका के पास 5044 और रूस के पास 5580 परमाणु बम हैं। ये सभी परमाणु बम 1945 में उपयोग किए गए परमाणु बम की तुलना में 100 गुना अधिक खतरनाक हैं।
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