Rajasthan: आखिर क्यों उठी विधानसभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की बात? ये है पूरा मामला 

Hanuman | Saturday, 20 Jul 2024 09:40:17 AM
Why did the talk of no-confidence motion against Speaker Vasudev Devnani arise in Rajasthan Assembly? This is the whole matter

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जयपुर।
राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली द्वारा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर की गई टिप्पणी के बाद शुक्रवार को सदन में हंगामा देखने को मिला। इस दौरान वासुदेव देवनानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने तक की बात पहुंच गई। हालांकि बाद में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कूटनीतिक ढंग से विवाद को समाप्त करवा दिया है।  

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खबरों के अनुसार, कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा था कि स्पीकर का झुकाव सत्ता पक्ष की ओर अधिक है। आपका हमें अधिक संरक्षण मिलना चाहिए।  इस दौरान उन्होंने  वासुदेव देवनानी को धृतराष्ट्र कह दिया। हालांकि टीकाराम जूली ने इस पर माफी मांगी ली है और कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। 

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वासुदेव देवनानी ने कही ये बात
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने प्रतिपक्ष द्वारा सदन के बाहर जाकर उन पर लगाए गए व्यक्तिगत आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि सदन की रिपोर्ट का अवलोकन करेंगे तो पता लगेगा कि उनका हमेशा निष्पक्ष व्यवहार ही रहा है। देवनानी ने कहा कि प्रतिपक्ष हो या सत्ता पक्ष, उन्होंने सभी सदस्यों को सदन में शिष्टाचार को अमल में लाने के लिए कहा था और यही अपेक्षा है। इस दौरान उन्होंने बोल दिया कि किसी लगता है कि वह निष्पक्ष नहीं हैं तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

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असंसदीय, आपत्तिजनक और अमर्यादित शब्दों को विलोपित करने के निर्देश
वहीं विधानसभा में सदन के गतिरोध को समाप्त करने के लिए अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से प्रतिपक्ष नेता व अन्य वरिष्ठ नेतागण और संसदीय कार्य मंत्री ने मुलाकात की। उन्होंने देवनानी से दोनों पक्ष के वरिष्ठ नेतागण ने एक-दूसरे के उद्बोधनों में से आपत्तिजनक अंश हटाने का अनुरोध किया। इसे बाद देवनानी ने गुरुवार को दिए गए उद्बोधनों में से असंसदीय, आपत्तिजनक और अमर्यादित शब्दों को विलोपित करने के निर्देश दिए। 

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टीकाराम जूली ने कही थी ये बात
इससे पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि कतई नहीं चाहते कि आसन का किसी प्रकार का अपमान हो। आसन पर आक्षेप लगाने की भी उनकी कोई मंशा नहीं थी। प्रतिपक्ष को सदन में अध्यक्ष से ही संरक्षण की उम्मीद रहती है। उन्होंने कहा कि उनकी बात से आसन की भावना को किसी प्रकार की ठेस पहुंची हो तो उसके लिए वे माफी चाहते है।
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