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नयी दिल्ली। एक नए अध्ययन से पता चला है कि दुनिया में 50 प्रतिशत से अधिक बड़ी झीलों में पानी की कमी हो रही है और इसकी प्रमुख वजहों में गर्म जलवायु और मानव उपभोग प्रमुख हैं।
यह अध्ययन ‘साइंस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक अमेरिका के वर्जीनिया विश्वविद्यालय के फांगफैंग याओ हैं।याओ ने कहा कि यह अध्ययन उपग्रहों और ‘मॉडल’ की एक श्रृंखला के आधार पर दुनिया भर की झीलों में जल भंडारण में परिवर्तन के रुझानों पर पहला व्यापक आकलन है।उन्होंने कहा कि झीलों के पानी के भंडारण की प्रवृति और उनके कारणों पर नजर रखने का यह नया तरीका जल प्रबंधकों और समुदायों को इस बात से अवगत करा सकता है कि किस प्रकार पानी के महत्वपूर्ण स्रोतों और अहम क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा बेहतर तरीके से की जाए।कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच अरल सागर के सूखने जैसे पर्यावरणीय संकट के सामने आने के बाद याओ और उनके सहयोगियों ने यह अध्ययन किया।
उनके सहयोगियों में अमेरिका के कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय और कंसास विश्वविद्यालय के अलावा फ्रांस और सऊदी अरब के अध्ययनकर्ता भी शामिल थे।
अध्ययन दल ने दुनिया की करीब 2000 सबसे बड़ी झीलों तथा जलाशयों के जलस्तर में हुए बदलाव पर गौर किया। पृथ्वी पर कुल झील जल भंडारण का 95 प्रतिशत हिस्सा इन 2000 जलाशयों में है।अध्ययन दल ने 1992 से 2020 के बीच उपग्रहों द्वारा ली गयी करीब ढाई लाख तस्वीरों का उपयोग किया और इस तरीके से दल ने सबसे बड़ी झीलों में से 1,972 जलाशयों के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया।याओ ने कहा कि इस अध्ययन का निष्कर्ष चौंकाने वाला था और विश्व स्तर पर 53 प्रतिशत झीलों के जल भंडारण में कमी दर्ज की गई।
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