पैतालीस साल से कर रहा था तंबाकू का सेवन, कैंसर हुवा तो अब कहने लगा, बचा लो मुझे,मरना नहीं चाहता

Preeti Sharma | Tuesday, 11 Apr 2023 11:51:41 AM
Was consuming tobacco for forty-five years, got cancer, now started saying, save me, don't want to die

जयपुर। तंबाकू बड़ी खरनाक आदत होती है,कोई भी नशेड़ी  चाह कर भी नहीं छोड़ पाता। गुलाम हो जाता है। अंत में जब इस भूल का अहसास होता है,तब वह दर्दनाक मौत के करीब पहुंच जाता है। यह वाकिया इसी तरह की सच्ची घटना से सबंधित है,जिसने भी इसे सुना वह सुटट रह गया। बेबसी का शिकार हो गया। आखिर मरना तो एक ना एक दिन सभी को है, मगर मुंह का कैंसर......! तोबा तोबा, भला ऐसी भी  कोई मौत होती है....? डर के मारे मन ही मन रोने लगता है।
गले के कैंसर का यह पेसेंट इन दिनों सवाई मान सिंह हॉस्पिटल की इनडोर इकाई में उपचारित है। कोई दो दर्जन पेसेंट वहां भर्ती है। सभी की हालत खराब है।
कैंसर पीड़ित यह सक्स पचास साल के लगभग उम्र का है। भरतपुर का रहने वाला है। काश्तकार है। परिवार में चार बच्चों की जिम्मेदारी अभी पूरी नही कर सका है। यहां उसकी
पहचान गुप्त रखी गई है। क्यों की इसी शर्त पर बात करने को तैयार हुवा था। 
सक्स बताने लगा कि मेरे पिता और दादा तंबाकू की लत के शिकार थे। मगर उनकी इच्छा यही रही कि मेरी औलाद इससे दूर रहे। मगर दुख इस बात का रहा कि उनके चारों बच्चे इससे अछूते नहीं रहे। मेरे साथ भी यही हुवा। दस साल की उम्र से इस गलत लत का शिकार हुवा था। आरंभ में,अपने बाप को जब भी हुक्का पीते देखता था तो मन में विचार उठता था कि तंबाखू में ऐसा क्या है,जिसने मेरे दादा और बाप, दोनो को अपनी गिरफ्त में ले लिया। बात करते करते,
मेरी आंखों में आंख डाल कर,अपना चेहरा स्प्रिंग की तरह घुमाने लगा....। कहने लगा कि फसल पकने के साथ ही  मेरा बाप सबसे पहले अपने परिचित के पास जा कर दस किलो तंबाखू तैयार करवाता था। फिर लोहे की टीन वाले पीपे में रख कर ताला लगा दिया करता था। कारण इसके पीछे यही रहा होगा कि उसकी इस खुराक में कोई दूसरा हिस्सेदार नहीं qबन जाए। खास बात यह भी थी कि इस तंबाकू में वह खास तरह कोई रसायन मिलाए करता था। जिससे इसका नशा कई गुना अधिक तेज हो जाया करता था। बात सही भी थी। जब भी मैं अपने दादा के निकट बैठता था तो इसकी धुवा से मेरा सिर बड़े जोर से घूमने लग जाता था।
बस यहीं से तंबाकू मेरे पीछे पड़ गया। शुरू में ज्यादा कुछ नहीं बीड़ी के ठूंठ जला कर सूटटा लगाने लगा। फिर जब भी मौका मिलता,चिलम  का शोक फरमाने लगा।
कहने को मेरा बाप और दादा इसी लत के शिकार हो कर मर गए। मां और घर वाली ने कई बार कसमें दिलाई। मगर कुछ दिनों के बाद, वही घोड़ा वही मैदान.....! मेरा माथा उस वक्त घुमा की जब मुझे मुंह पूरा खोलने में भी परेशानी होने लगी। रोटी राबड़ी तक भी निकलने में परेशानी होने लगी।

बात ही बात में एक सवाल उठा.....? वार्ड के डॉक्टर से बात होने पर वो बताने लगे.....हमारे मुंह की लार को  सब मुकस फैब्रोसिस कहते है। तंबाखू खाने के कारण मुंह के भीतर की चमड़ी याने मुकोजा कड़ा होने लगता है। इस पर मुंह धीरे धीरे खुलना कम हो जाता है। कई बार मरीज खाना तक ठीक से नहीं खा सकते। यह प्री कैंसर के सिमटम होते है। इसलिए तंबाखू तुरंत छोड़ने में ही गनीमत है। तंबाखू के चलते फेफड़े का कैंसर,सिर,गला और मुंह का कैंसर मुख्य है। इसके अलावा हार्ट की बीमारियां,मधु मेह , ब्लड प्रेशर और सांस की बीमारियां भी हो सकती है। कोरोना काल में धूम्रपान करने वाले पेसेंट की मौत का प्रतिशत रहा था।
मुंह, गला,जीभ, दांत टॉन्सिल, थायराइड के कैंसर में  शरीर का वजन  अचानक कम होना, हर समय थकान, मसूड़ों से खून आना, मुंह के छाले लंबे समय तक रहना सांस में परेशानी होना, खांसी में खून आना आदि मुख्य।है। तंबाकू में कॉर्सिनोजेनिक रसायन होते है। जब तंबाकू चबाया जाता है तो ये रसायन मुंह के संपर्क में आते है तब वे रसायन कोशिकाओं में डीएनए को भी प्रभावित करने लगते है। यह रोग लासिका की मदद से फैलता है।

 



 


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