मरने को पसरा हुवा था मरीज, सर्जन  की चूक पर बचने की उम्मीदों पर पानी फिरा

epaper | Monday, 24 Apr 2023 10:59:12 AM
The patient was on the verge of death, due to the mistake of the surgeon, the hopes of survival were shattered.

जयपुर। बात सर्जरी की हो या फिर मैडिसन की ,सवाई मानसिंह अस्पताल की दोनों ही मामलों में देश भर में अच्छी इमेज बनी हुई है। मगर कई बार ऑपरेशन के वक्त डॉक्टर का निशाना चुकने की संभावना रहती है। और मरीज की जिंदगी  बचानी मुश्किल हो जाती है। सवाई मान सिंह हॉस्पिटल में इन दिनों दो पेसेंट उपचारित है। दोनों की हालत सीरियस है।इस अवस्था में किडनी भी इफेक्टेड हो जाती है। ऐसे में  रोगियों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है। हालत यह है की इनका डेलीसिस भी करना पड़ रहा है। इनके लीवर की प्रॉबलम  भी नौबत आ गई है। इसमें कोटपुतली से आए एक रोगी के परिजन का मामला बहुत ही क्रिटिकल चल रहा है। परिजनों का कहना है कि दूरबीन के ऑपरेशन के समय इसका एक पार्ट  आंतों में फंस गया था। जिसे डॉक्टर्स की विदेश टीम के द्वारा बड़ी ही मुश्किल से निकाला गया। इस अवस्था में जरा भी देर हो जाती तो रोगी की मौत हो सकती थी।
सर्जरी का यह मामला बहुत ही जटिल होता है। इसमें रोगी की भोजन नली सिकुड़ गई थी। देखते ही देखते रोगी की हालत यहां तक पहुंच गई थी कि वह  एक माह से भोजन पानी नहीं कर पा रहा था। उसके फेफड़े भी एफेक्टिफ ही गए। उसकी जान बचने के लिए उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है।
रोगी के परिजन बताते है उनका पेसेंट कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्या से ग्रस्त है। उसकी उम्र केवल बाईस साल की है। वह जब बाल अवस्था में था,तब उसे मानसिक परेशानी होने लगी। हुआ यह की वह मासिक रूप से विकसित नहीं हो सका। मंद बुद्धि का होने पर बीस साल की उम्र में पांच साल की बुद्धि डेवलप हो सकी थी।
मानसिक परेशानी को लेकर परिवार वाले उसे लेकर चौकस थे,मगर एक दिन सब गड़बड़ हो गई। परिवार वाले सभी खेत में फसल की कटाई के लिए गए हुवे थे। पीछे से उसे मौका मिल गया और बाथ रूम में जाकर कपड़े धोने के कम आने वाला  सोडे का पाउडर खा लिया। इस पर कुछ देर में उसके  गले में जलन होने लगी। उल्टियां होने पर वह मदद के लिए रोने पुकारने लगा था। उसने अपने पिता को आवाजें लगाई। करीब आधा घंटे बाद युवक की मां किसी काम को लेकर घर में आई तो अपने बच्चे को घर के चौक में बेहोशी की हालत में पड़ा देखा। मां के शोर मचाने पर घर के अन्य सदस्य भी मौके पर पहुंच गए और युवक को उपचार के लिए कोटपुतली के सरकारी हॉस्पिटल में पहुंचाया। तब तक उसके गले में सोडा जम चुका था। मुंह से सफेद कलर की लार और थूक के साथ खून भी निकलने लगा।  गले और मुंह में बड़े बड़े छाले भी हो गए। किसी भी तरह का तरल भोजन तक नहींकर पा रहा था। उसे सांस में तक लेने मैं परेशानी होने लगी। मुंह ओर पेट में घाव हों जाने पर उसे किसी भी तरह की चीजों के भोजन और तरल लेने पर परेशानी होने लगी। कुछ ही दिनों में गले के नीचे तक घाव  और सूजन हो जाने पर डाइजेशन सिस्टम खराब हो गया।
इस केस मे डॉक्टर्स का कहना था की आरंभ की स्टेज में इस समस्या का उपचार किया जा सकता है।
 बेनिग्न एसोफेगियल स्ट्रकुलर की अवस्था में यदि भोजन या तरल पिलाया जाता है तो वह नीचे उतरने के बजाय मुंह में इकठ्ठा हो जाता है।यह गैर कैंसर है यह तब होता है,जब मरीज की भोजन नली के पूरी तरह अवरुद्ध होने पर, रोगी को स्वास्थ की गंभीर समस्या पैदल हो जाय। 
चिकित्सक यह भी बताते है कि छाती या गर्दन के लिए विकिरण चिकित्सा,एसिड या अन्य सनक्षारक 
पदार्थ का आकस्मिक निगलना, ई सोगैसट्रिक ट्यूब का लंबे समय तक उपयोग, एक एंडोस्कोपी के कारण भोजन की नली क्षतिग्रस्त होने की संभावना होने पर सर्जरी के समय काफी सावधानी बरतनी होती है। एसोफेजल वेरिसेस नामक इस अवस्था का इलाज जहां एसोफेगस फटने में फटने में बढ़ी हुई नशे गंभीर रक्त स्राव का कारण बन जाता है । और पेसेंट को पेट में हर समय गैस की समस्या रहती है साथ ही मुंह में कड़वा पानी आने लगता है तो इस अवस्था को गेस्टोआइसोफेगल जीआर डी कहा जाता है। इसमें आहार की नली संकरी हो जाती है और आमाशय और मुंह के बीच का वाल्व कमजोर हो जाता है।  और पेट का एसिड बाहर आने पर  आहार नली के नीचे घाव बन  जाते है। दवा से आराम नहीं मिलने पर अर्जेंट ऑपरेशन करना पड़ता है। एसएमएस में अब इसका दूरबीन से ऑपरेशन किया जाने लगा है।
यहां हाल में दो मरीज सघन उपचार इकाई में भर्ती है। देखा जाय तो यह विधि भी मुश्किल है। इसकी सफलता के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्कता होती है।




 


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