सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: सेल एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी से नहीं मिलेगा संपत्ति का मालिकाना हक

Trainee | Tuesday, 03 Dec 2024 08:47:16 AM
Supreme Court's historic decision: Sale agreement and power of attorney will not give ownership of property

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि संपत्ति का मालिकाना हक पाने के लिए केवल सेल एग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी पर्याप्त नहीं है। मालिकाना हक का दावा करने के लिए रजिस्टर्ड दस्तावेज आवश्यक हैं। यह फैसला भारत में बढ़ते संपत्ति विवादों को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।

रजिस्टर्ड दस्तावेज का महत्व

कोर्ट ने रेखांकित किया कि रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत संपत्ति का टाइटल ट्रांसफर तभी वैध होगा, जब रजिस्टर्ड दस्तावेज हों।

  • पावर ऑफ अटॉर्नी: यह अधिकार संपत्ति के असली मालिक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को संपत्ति से जुड़े निर्णय लेने के लिए दिया जाता है, लेकिन इससे मालिकाना हक नहीं मिलता।
  • सेल एग्रीमेंट: यह संपत्ति की बिक्री के लिए एक अनुबंध है, लेकिन रजिस्टर्ड दस्तावेज के बिना इसे संपत्ति का कानूनी स्वामित्व नहीं माना जा सकता।

फैसले का उदाहरण

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया, जहां उसने गिफ्ट डीड के माध्यम से संपत्ति का दावा किया। प्रतिवादी ने पावर ऑफ अटॉर्नी और सेल एग्रीमेंट के आधार पर दावा किया, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

इस फैसले का प्रभाव

  1. संपत्ति विवादों में कमी: यह निर्णय संपत्ति विवादों में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
  2. खरीदारों और विक्रेताओं के लिए मार्गदर्शन: रजिस्टर्ड दस्तावेजों की अनिवार्यता ने संपत्ति लेन-देन को अधिक कानूनी और सुरक्षित बनाया है।
  3. नए मापदंड स्थापित: इस फैसले ने संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर नए मानक तय किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय संपत्ति विवादों में न केवल स्पष्टता लाता है, बल्कि कानूनी सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।



 


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