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राजस्थान में कम से कम 88% बिजली कंस्यूमर्स को स्मार्ट मीटर लगाने से पहले अनियमित बिल प्राप्त होते थे, और स्मार्ट मीटर के संक्रमण के बाद ऐसे कंस्यूमर्स की संख्या 19% तक गिर गई। राजस्थान में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 90% से अधिक कंस्यूमर्स ने कहा कि स्मार्ट मीटरों में परिवर्तन आसान रहा है, और 58% ने कहा कि स्मार्ट मीटरों के साथ बिल पेमेंट आसान हो गया है।
सीईईवी का अध्ययन राजस्थान सहित छह राज्यों में लगभग 2,700 शहरी परिवारों के सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें 1,200 प्रीपेड और 1,500 पोस्टपेड कंस्यूमर्स को शामिल किया गया है। इन छह राज्यों में भारत में स्थापित सभी स्मार्ट मीटरों का 80% हिस्सा है।
अध्ययन के अनुसार, लगभग 60% स्मार्ट मीटर कंस्यूमर्स अपनी बिलिंग और पेमेंट से खुश हैं और वे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को प्रीपेड स्मार्ट मीटर की सिफारिश करना चाहते हैं। केवल 20% स्मार्ट मीटर लगाए जाने से असंतुष्ट थे, जबकि अन्य 20% इसके बारे में तटस्थ थे। कम से कम 92% कंस्यूमर्स ने स्मार्ट मीटर इंस्टालेशन का अच्छा अनुभव बताया। स्मार्ट मीटर पर स्विच करने के बाद से लगभग 50% कंस्यूमर्स ने बिलिंग नियमितता में सुधार की सूचना दी।
भारत ने 5.5 मिलियन स्मार्ट मीटर स्थापित किए हैं, जिसमें राजस्थान 5.5 लाख मीटर से अधिक का है। 2020 में, केंद्र ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के फाइनेंशली बदलाव पर केंद्रित पुनर्वितरित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) का अनावरण किया। प्लान के घटकों में से एक का लक्ष्य 2025-26 तक 250 मिलियन पारंपरिक बिजली मीटरों को स्मार्ट प्रीपेड मीटरों से बदलना है।
स्मार्ट मीटर लगाने पर जोर डिस्कॉम को उनकी बिलिंग और राजस्व संग्रह में सुधार करने में उनकी भूमिका से जुड़ा हुआ है, जबकि कंस्यूमर्स को अपने बिजली के यूज और खर्चों को ट्रैक करने और प्रबंधित करने में भी सक्षम बनाता है।
यूनिवर्सल स्मार्ट मीटरिंग पर स्विच करने से बिलों की प्राप्ति और पेमेंट के संबंध में उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव आएगा। विशेषज्ञों ने कहा कि इसमें शुरुआती मुद्दे और टेक्नोलॉजी में कंस्यूमर्स को विश्वास से समझौता करने का जोखिम शामिल हो सकता है।