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जयपुर। कहा गया है ना की मां के प्रेम का कोई मुकाबला नहीं होता। अपनी औलाद के लिए वह क्या कुछ नहीं करती। उसके त्याग और तपस्या के आगे सब नतमस्तक है। मगर यह व्यथा एक ऐसी औलाद की है,जिसने ना केवल मां को ठुकराया,बल्की अपनी बीबी के कहने पर उसे घर से निकाला और तरह तरह की यातनाएं दी। करोड़ों की संपत्ति की मालकिन यह मां अब एक वृद्धाश्रम में जिंदगी के अंतिम दिन काट रही है।
बे सहारा मां की उम्र ८५ साल है। करोड़ों अरबों की संपत्ति और एक बड़े हॉस्पिटल की मालकिन भी है। वृद्धा विद्या देवी की कहानी उनके ही मुख से इस तरह बताई गई है......विद्या देवी का कमरा बड़ा ही साधारण है। मूंज की पुरानी चारपाई की हालत इस कदर चरमरा गई है की,मैया की करवट के साथ,अजीब सी आवाज निकाल ती है, बूढ़े झूले की तरह हिलने लगती है। दस बाई दस साइज के इस कमरे में लकड़ी की पुरानी स्टूल रखी है। यहां पीतल का पुराना लोटा भी रखा है। आश्रम के सेवक सुबह सायं के समय इसमें पानी भर देते है। कुछ समय पहले तक यहीं चार पाई के बगल में मिट्टी की सुरई रखी जाती थी,ताकि गर्मी के इस मौसम में मैया को पीने को ठंडा पानी मिल सके।
विद्या देवी की उम्र अधिक होने पर उसके होठ लटकने लगे है। आगे के दांत टूटे होने पर उसकी बात सुनने में परेशानी सी होती है। मैया का स्वर बहुत धीमा है। मगर हां, उसके चेहरे की मुसकान लोगों की नजरों को आकर्षित करने में काफी है। मैया का पहनावा बहुत ही साधारण है, हल्के आसमानी रंग की सूती साड़ी अक्सर पहने रहती है।
आगरा के नामी आंखों के अस्पताल के संस्थापक रहे गोपीचंद अग्रवाल की पत्नी विद्या देवी चार बेटों की मां है। चारों बच्चों के लिए इस मैया ने क्या कुछ नहीं किया। बालपन में सुनाई लोरिया तो उसे आज तक याद है।
बच्चों के पालन पोषण में कभी कोई कमी नहीं रखी। बच्चों के चेहरे पर जरा भी मायूसी उसी कतई बर्दास्त नहीं होती थी। इनकी खुशियों के लिए क्या कुछ नहीं किया। उनकी शादी नामी खानदान में करवाई। हर तरह का सुख भोगा,मगर पति की मौत उसका जीवन पूरी तरह बदल गया। अपने पति की मौत के बाद उसे संपत्ति से मोह नहीं रहा। बेटे बहुओं के कहने पर सारी प्रॉपर्टी उनमें बराबर बांट दी। बस यहीं से उस पर जुल्म ढाए जाने लगे। बहुओं की अक्सर शिकायत रहती थी। आप के कपड़ों से बदबू आती है। भोजन करते समय गंदगी फैलाने का आरोप तो अक्सर लगता था। कमरे में साफ सफाई कई कई दिनों तक नहीं हो पाती थी। डस्ट से उसे एलर्जी रहा करती थी। कहने को उसकी दोनों आंखों में मोतियां बिंद के आपरेशन उनके पति के समय करवा दिए थे, मगर चश्मे के लेंस कमजोर हो गए थे। इस बात का उलहाना अक्सर दिया करती थी। गुस्से में आकर बेटों को भला बुरा सुना दिया करती थी।
विद्या देवी की व्यथा अनेक बार सोशल मीडिया पर भी अनेक बार कवर की गई थी। इस पर विवेक पंड्या बताते है कि आंखों के नामचीन हॉस्पिटल के संस्थापक गोपी चंद अग्रवाल की गिनती करोड़ पति परिवार में होती थी। आलीशान कोठी में विद्या देवी रहा करती थी। पत्रकार चित्रा त्रिपाठी ने अपनी साइट में लिखा कि ऐसे बेटों को शर्म नहीं आती होगी।
रेलकिंगो सिंह के एक यूजर ने लिखा की पैसों से पढ़ा जा सकता है, आधुनिक चींजे खरीदी जा सकती है। लेकिन संस्कार नहीं खरीदे जा सकते। अंकुर गोयल का कमेंट था कि विनाश काले विपरीत बुद्धि। अगर कोई समस्या हों तो भी मां पिता का साथ नहीं छोड़ते।