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PC: patrika
सरकार जल जीवन मिशन और पेयजल परियोजनाओं की लागत का अनुमान लगाने के लिए राजस्थान जल आपूर्ति एवं सीवरेज निगम को चालू करने की तैयारी कर रही है। हालांकि, इस बात की चिंता बढ़ रही है कि जिस तरह बिजली कंपनियों के गठन से बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी हुई, उसी तरह पानी की कीमतों में भी भारी बढ़ोतरी हो सकती है।
जल संसाधन विभाग में चर्चा है कि निगम के सक्रिय होने के बाद राज्य में करीब एक करोड़ पंजीकृत उपभोक्ताओं पर इसका सबसे पहले असर पड़ेगा। वित्त विभाग द्वारा सुझाए गए फॉर्मूले को लागू करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। फिलहाल एक हजार लीटर पानी की कीमत 2.85 रुपये है, लेकिन यह 17 गुना बढ़कर 50 रुपये प्रति हजार लीटर हो सकती है।
तर्क - लागत कवर करने में दिक्कतें
जल आपूर्ति अधिकारियों का तर्क है कि जयपुर शहर और राज्य में पेयजल से मिलने वाला राजस्व परियोजना लागत को कवर करने के लिए अपर्याप्त है। उदाहरण के लिए, अकेले जयपुर में कई पेयजल परियोजनाओं की लागत 500 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि पानी की कीमतें बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन जनता के असंतोष के कारण सरकार इसमें बदलाव नहीं कर पाई है।
खराब मीटर - राजस्व की चुनौती
जल आपूर्ति इंजीनियरों ने प्रस्तावित जल दरों की गणना शुरू कर दी है। उनका मानना है कि यदि निगम प्रति हजार लीटर पर 17 गुना भी दर बढ़ा दे, तो भी इससे राजस्व में कोई खास वृद्धि नहीं हो सकती, क्योंकि 50% जल कनेक्शन मीटर खराब हैं। राजस्व प्राप्ति के लिए सटीक खपत रीडिंग जरूरी है।
गांधी नगर कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन
जल आपूर्ति इंजीनियरों ने निगम के संचालन का विरोध तेज कर दिया है। बुधवार को संयुक्त संघर्ष समिति के सह संयोजक भवनेश कुलदीप और वरिष्ठ इंजीनियरों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया गया। समिति सदस्य विजय सिंह राजावत ने संकेत दिया कि निगम के सक्रिय होने से पानी की कीमतें बढ़ेंगी और जल आपूर्ति कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर असर पड़ेगा।