- SHARE
-
PC: navbharattimes
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सिक्किम के नवनियुक्त राज्यपाल ओम माथुर के लिए मंगलवार को आयोजित सम्मान समारोह में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम के दौरान राजे ने एक ऐसा बयान दिया, जिसकी चर्चा व्यापक स्तर पर हो रही है। कई लोगों ने उनके शब्दों को उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना के रूप में देखा। राजे की टिप्पणियों को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर एक सूक्ष्म प्रहार के रूप में देखा जा रहा है।
राजे ने टिप्पणी की कि कुछ व्यक्ति अनुभव की कमी के बावजूद जल्दी ही उच्च पदों पर पहुंच जाते हैं और खुद को सर्वोच्च मानने लगते हैं। इस मौके पर राजे ने कहा कि ओम माथुर ने राजनीति में कई ऊंचे मुकाम हासिल किए हैं। राजे ने कहा, "लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सराफ समझ बैठते हैं।" उल्लेखनीय है कि राजे ने अपनी टिप्पणी को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा किया, जिससे अटकलों को और बल मिला।
वसुंधरा राजे ने क्या कहा?
हालांकि राजे ने सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि उनकी टिप्पणी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर लक्षित थी, जो विधायक के रूप में अपने पहले कार्यकाल के तुरंत बाद मुख्यमंत्री बन गए थे। राजे ने उच्च आकांक्षाओं को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और विनम्र बने रहने का सुझाव दिया। राजे ने आगे कहा कि माथुर से लोगों को सीख लेनी चाहिए कि जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखने चाहिए, लेकिन जमीन से जुड़े रहना भी जरूरी है। उन्होंने माथुर को सिक्किम का राज्यपाल नियुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने माथुर के प्रधानमंत्री के साथ घनिष्ठ संबंध और छत्तीसगढ़ में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया।
राजे: "कुछ लोग राज्यपालों की भूमिका को कमतर आंकते हैं"
जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राजे ने इस धारणा को संबोधित किया कि कुछ लोग राज्यपाल की भूमिका को कमजोर मानते हैं। उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष के दावों के बावजूद राज्यपाल महज रबर स्टैंप नहीं होते। उन्होंने कहा, 'विपक्षी कुछ भी कहें , लेकिन गवर्नर रबर स्टांप नहीं होता है। फिर जैसा घुड़सवार होगा घोड़ा वैसे ही दौड़ेगा। माथुर कुशल घुड़सवार हैं। जिन्हें लगाम खींचना और चाबुक चलाना अच्छे से आता है।''
राजे ने आगे बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्यपाल की सिफारिश पर राज्य सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 356 के तहत राज्यपाल की सिफारिश पर राज्य सरकार की सभी शक्तियां राज्यपाल को हस्तांतरित कर दी जाती हैं। इसलिए राज्यपाल शक्तिहीन नहीं है, बल्कि उसके पास काफी अधिकार हैं।" राजे ने भारत के राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपालों की भूमिकाओं के बीच समानता दर्शाते हुए निष्कर्ष निकाला, "जिस तरह राष्ट्रपति राष्ट्र के मुखिया होते हैं, उसी तरह राज्यपाल राज्यों के भीतर सबसे शक्तिशाली पद रखते हैं। संविधान को यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया था कि प्रत्येक राज्य में शासन करने के लिए एक राज्यपाल हो, जिससे राज्यपाल राज्य में सबसे शक्तिशाली अधिकारी बन जाए।"
अपडेट खबरों के लिए हमारा वॉट्सएप चैनल फोलो करें