Rajasthan: जन्म से गर्भाशय नहीं था,अजनबी की मदद से बनी मां

Preeti Sharma | Monday, 20 Mar 2023 11:24:58 AM
Rajasthan: There was no uterus since birth, mother became with the help of a stranger

जयपुर। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक मां की खबर वायरल हो गई है। इस खबर की खास बात यह है कि इस महिला में जन्म से ही गर्भाशय नहीं था, फिर भी सेरोगेट मदर बनने का सुख मिला। पोस्ट करने वाली यह महिला एम आर के एच सिंड्रोम से ग्रस्थ थी। इस कारण वह मां नही बात सकती थी तभी इस महिला की जिंदगी में एक अन्य अनजान महिला की सरोगेट मदर  के तौर पर उसकी एंट्री हुई। महिला का उपचार कर रही लेडी चिकित्सक का कहना है की यह पेसेंट जब सोलह साल की हुई तो इस वजह से उसे पीरियड नहीं आए। एमआरआई से जब इसकी जांच की गई तो पता चला की उसे जन्म से ही गर्भाशय नहीं था। इस पर उसे बताया गया की वह कभी भी मां नहीं बन पाएगी। वह दुखी थी। अपना दर्द किसी से भी शेयर नही कर सकती थी। सरोगसी मां बनने के लिए कोई भी महिला तैयार नहीं थी। कुछ समय बाद उसकी मुलाकात लुईस से हुई। वे दोनो ही पेरेंट्स बनना चाहते थे। इस पर उनके पास आई वी एफ और सरोगेसी का ही रास्ता था। इसके अलावा अडोपसन का विकल्प था। सरोगेट मदर बनी कोले थामस ने अपने पति से कहा की वह एग डोनोट करना चाहती है। कोले लारा ने भी उस महिला का सोशल मीडिया पर पोस्ट देखा था। उसे इस बात का अहसास था कि परिवार होने का मतलब क्या है। इसी कारण उन्होंने लारा परिवार कंपलित करने का सोचा। और सरोगेट मदर बनने का सुख भोगा। 
क्या होता है सरोगेसी ......
सेरोगेसी का विकल्प उन महिलाओं के लिए उपयोगी होता है जो प्रजनन से रिलेटेड मामले,गर्भ पाट या जोखिम भरे गर्भाशय के कारण गर्भ धारण नहीं कर सकती। इसे सेरोगेसी याने आम भाषा में किराए की कोख कहा जाता है। यानी बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई कपल किसी दूसरी महिला की कोख को किराए पर लेता है। सेरोजैसी में कोई महिला अपने या फिर डोनर के अंडे के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रिग्नेंट होती है। याने अपने पेट में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला को सेरोगेट मदर कहा जाता है ।
ट्रेडिशनल सरोगेसी …....
इस तरह की सरोगेसी में होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेट से मैच करवाया जाता है। फिर डॉक्टर कृटीम तरीके से सेरोगेट महिला के सर्विक्स फेलोपियन ट्यूब यूट्रस में स्पर्म को सीधा प्रवेश करवाया जाता है। इससे स्पर्म बिना किसी बाधा के महिला के यूट्रस में पहुंच जाता है। फिर सेरोगेट मदर उसे नौ माह तक अपने गर्भ में पालती है।
जेलेस्टिशनल.......
इस तरह की सेरोगेसी में सेरोगेट मदर का बच्चे से रिलेशन जेनेटिकली नहीं होता। याने इस प्रक्रिया में सेरोगेट मदर के एग का स्तेमाल नही होता है। वह सिर्फ बच्चे को जन्म देती है। इसमें होने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग का मेल टेस्टब ट्यूब कराने के बाद उसे सेरोगेट मदर के यूट्रेश में ट्रांसप्लांट किया जाता है।




 


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