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इंटरनेट डेस्क। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश की जनता के लिए राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में पारित करवा दिया लेकिन प्राईवेट अस्पताल के संचालक नहीं चाहते की ये बिल लागू हो। इसकों लेकर उनका विरोध कई दिनों से जारी है। प्रदेशभर के निजी अस्पतालों में ताले लटके हुए और मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है।
इस कारण से सरकारी अस्पतालों में मरीजों का भार बढ़ गया है। वहीं लगातार बढ़ते मरीजों के कारण उनका अस्पतालों में इलाज नहीं हो पा रहा है।एक तरह जहां सरकारी रेजिडेंट डॉक्टर भी निजी अस्पतालों के समर्थन में आ गए थे वहीं सरकार के सख्त होने के बाद वो काम पर लौट गए है।
वहीं सरकार की और से 1000 जूनियर रेजिडेंट की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और कई ने ज्वाईन भी कर लिया है। ऐसे में लोगों को अब राहत मिलती नजर आएगी। वहीं प्राईवेट अस्पताल वालों का धरना प्रदर्शन अभी भी जारी है।