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परिवार में खटर पटर किसके घर में नहीं होती। इस तरह के मामले, सच कहो तो रूटीन में आ गए है। मगर कई बार इस कदर विचित्र वाकिए देखने को मिल जाते है कि हैरानी के साथ सिर पकड़ने को मन करता है।
यह घटना घाटगेट हुजूरी इलाके की है। करीब तीस साल की एक महिला का विवाह रामगंज के युवक अफजल के साथ हुवा था। तीन साल तक उनकी ग्रहस्ति ठीक ठाक चलती रही। मगर तभी एक मामूली सी बात हो गई की उसने अपने पति को तलाक देदिया। यह विवाद महिला की पायजेब खरीद के कारण हो गया। महिला कहती है कि कुछ दिनो पहले उसकी पायजेब कही खो गई थी। उसने काफी खोजा। अपने पति को इसकी जानकारी दी तो उसने बड़ा ही गंदा व्यंग कसा। देखते ही देखते यह मामूली सा विवाद इस कदर बढ़ा कि महिला को तलाक लेना पड़ गया। कुछ ही दिन बाद इसके परिवार के युवक से दिल मिल गया।और उससे निकाह कर लिया। दो साल इन मियां जी साथ काटे। मगर बाद में कोई छोटी सी बात की लेकर उनके बीच का यह पवित्र रिश्ते का भी विच्छेदन हो गया। तीसरा तलाक जयपुर के अंसारियों के मोहल्ले के एक युवक के साथ होगया। हाल ही में चौथा निकाह पिछले करोना काल में हुवा था। बेगम कहने लगी की कॉरोना काल में जब यहां मेडिकल इमरजेंसी लगी हुई थी तब पति साहब को घर पर ही रहना होता था। इस पर उनका एक ही काम सेक्स का रहता था। कई बार तो दिन में तीन चार बार। बड़ा समझाया। यहीं की घर में चार चार बच्चें है। उनकी भी सोचो। रसोई में राशन खत्म होने को है। इस और सोचो। आप की सेक्स ही आदत से उनका पेट थोड़े ही भर जायेगा। पति ने जब अपने आप को नहीं सुधार तो उसने कोर्ट से सिप्रेशन मांग लिया
यह केश वहां लंबा चला। इस बीच जज साहब ने मुझे और मेरे पति को अदालत में बुलवाया। शुरुआत में मुझे दे पूछा गया.....। क्यों मैडम , अब क्या इरादा है। में सकपका गई। इसका जवाब मुझसे नहीं बना। जज साहब ने फिर से इस सवाल को रिपीट लिया। अबकी कहा कि कहां की रहने वाली।हो.....? इस बार तपाक से कहा की मुरैना की माई लॉर्ड। जब साहब मुस्कराने लगे। फिर मेरे पति की ओर हाथ से इशारा किया। वे बोले, आप इस महिला के साथ रहने को तैयार है.......? वह बोला, मैने कब मना किया है। मगर इस बार भी मेरी प्राइवेट लाइफ को लेकर कोई सवाल नही किया जाएगा। इस पर जज साब.....देख लो अब कोरोना काल नहीं है। मगर एक बात और.....।तलाक को लेकर हम बेहतर पोजिशन में है। देश की अधिकतर महिलाएं तलाक में विश्वास नहीं करती। प्राइवेट के छोटे मोटे डिसपुट अपने स्तर पर ही सुलझा ले लेती है। फेडरल अंजुमन इस्लामिया की वूमेन विंग की अध्यक्ष का तो यह भी कहना है की शरीयत में महिला सुरक्षा पर पहले ही पर्याप्त अधिकार है। यही बात एदारए शरीयत नजीमें के आला मोहम्मद कुटुबुदिन भी कहते है। आप दोनों को भी इसपर विचार करना ठीक रहता है।