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राजस्थान सरकार ने स्वास्थ्य, कृषि और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को प्राथमिकता देते हुए सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में पारंपरिक नाश्ते की जगह बाजरे आधारित व्यंजन परोसने का निर्णय लिया है। आलू चिप्स और कचौड़ी-समोसे की जगह अब बाजरे की राब, रोटी, हलवा, उपमा और खिचड़ी जैसे पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन अनिवार्य होंगे।
बाजरे को बढ़ावा देने की पहल
सरकार ने मिलेट्स (बाजरे) को प्रोत्साहित करने के लिए "श्री अन्न प्रमोशन एजेंसी" की स्थापना की है। इस पहल का उद्देश्य बाजरे के उत्पादों को लोकप्रिय बनाना और राज्य में बाजरे की खेती को बढ़ावा देना है। सरकारी बैठकों, कार्यशालाओं और डाक बंगलों में हर खाने के ऑर्डर में कम से कम एक बाजरे का व्यंजन अनिवार्य कर दिया गया है।
राइजिंग राजस्थान समिट और अंतरराष्ट्रीय पहचान
जयपुर में आयोजित "राइजिंग राजस्थान समिट" में बाजरे के व्यंजनों ने विदेशी मेहमानों और उद्यमियों को आकर्षित किया। इस सफलता ने राज्य सरकार को प्रेरित किया कि बाजरे को हर सरकारी आयोजन का हिस्सा बनाया जाए। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को “अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष” घोषित किए जाने के बाद, राजस्थान ने बाजरे को अपने कृषि और खाद्य संस्कृति का प्रमुख हिस्सा बना लिया है।
विभागीय आदेश और निगरानी
राजस्थान के विभिन्न जिलों में अधिकारियों ने बाजरे के उपयोग को सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं। उदाहरण के लिए, बाड़मेर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने 59 विभागों को निर्देशित किया है कि वे सरकारी बैठकों में केवल मिलेट्स से बने व्यंजन परोसें।
इस पहल का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्यवर्धक आहार को बढ़ावा देना है, बल्कि राज्य के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और बाजरे की खेती को प्रोत्साहित करना भी है।