- SHARE
-
राजस्थान सरकार ने गुरुवार को इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम के कार्य दिवसों की संख्या 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट प्रस्ताव के मुताबिक इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम के दिनों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
यह संशोधन 1 अप्रैल से प्रभावी होगा। सरकार 1100 करोड़ रुपये खर्च करेगी। राजस्थान रोजगार गारंटी स्कीम का उद्देश्य शहरी बेरोजगारों को 25 दिनों का अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराना है।
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम क्या है?
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम्स महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (मनरेगा) के समान है। इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम शहरी आबादी के लिए है, मनरेगा ग्रामीण आबादी के लिए है।
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पिछले साल 2022-23 के बजट के दौरान शुरू की गई थी और इसे कांग्रेस सरकार द्वारा शहरों में रहने वाले लोगों को गारंटीकृत नौकरी देने की देश की सबसे बड़ी स्कीम के रूप में जाना जाता है।
इस योजना में 18 से 60 वर्ष आयु वर्ग के व्यक्तियों का जन आधार कार्ड के आधार पर रजिस्टर्ड किया जायेगा। स्कीम में अनुमन्य कार्यों को करवाने के लिये राज्य/जिला/निकाय स्तर पर समितियों के माध्यम से कार्य स्वीकृत एवं क्रियान्वित किये जायेंगे। सामान्य प्रकृति के कार्य स्वीकृत एवं क्रियान्वित कराने हेतु सामग्री लागत एवं पारिश्रमिक लागत का अनुपात 25:75 तथा विशेष प्रकृति के कार्य हेतु सामग्री लागत एवं पारिश्रमिक का अनुपात 75:25 होगा।
मनरेगा में 15 दिन के भीतर मजदूरों के बैंक अकाउंट में कार्यों का पेमेंट कर दिया जायेगा। मजदूरों को कार्यस्थल पर भी सुविधाएं प्रदान कराई जाएंगी। साथ ही स्कीम में शिकायतों के निवारण और सोशल ऑडिट कराने का भी प्रावधान किया गया है।
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी स्कीम के तहत नौकरी पाने वालों को तीन श्रेणियों के तहत पेमेंट किया जाता है - अकुशल श्रमिकों के लिए 259 रुपये प्रति दिन, कुशल श्रमिकों के लिए 283 रुपये प्रति दिन और पर्यवेक्षकों के लिए 271 रुपये प्रति दिन।