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कोटा : राजस्थान के कोटा जिले की लाडपुरा पंचायत के अर्जुनपुरा गांव के युवा किसान जयप्रकाश गहलोत ने खेती में नवाचार करते हुए रंग-बिरंगी सब्जियों एवं शुगर फ्री आलू की उपज से ख्याति पाई है और अब इनकी मांग अन्य क्षेत्रों में भी बढèने लगी है।
नवाचार से जयप्रकाश आधुनिक तकनीक से कम लागत एवं कम जमीन के बावजूद अच्छा मुनाफा कमाते हुए प्रगतिशील किसान के रूप में अपनी पहचान बना ली है। उनकी इन उपजों के लिए रासायनिक खाद-कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता है।
उनके खेतों की रंग बिरंगी सब्जियों की कोटा ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी काफी मांग है। खेतों में जहां हरी बैंगनी, पीली और सफेद गोभी की उपज होती है वहीं काली और लाल रंग की गाजर होती है। जयप्रकाश के खेतों में लाल, काले और पीले टमाटर देखकर लोग आश्चर्य करते है। कद्दू तो कोई पहचान नहीं सकता, इसके खेतों में लौकी की भांति लम्बे आकार कद्दू की पैदावर होती है। इनकी पत्ता गोभी सब्जी के साथ सलाद के रूप में बहुत पसंद की जा रही है। मटर भी इतने मीठे है कि लोग चाव से खाते है।
किसान जयप्रकाश इसके साथ ही शुगरफ्री आलू की भी उपज करते है जिन्हें पहले इंदौर भेजा करते थे और अब पैप्सिको कंपनी को गुडगांव और पंजाब भेजते है। जयप्रकाश सीजन से पहले ही अपने खेतों में सब्जियों की बुवाई की तैयारी शुरू कर देते है।जिससे सीजन से करीब एक माह पहले ही उनके खेतों की उपज बाजार में आ जाती है। इसलिए आय भी अच्छी हो जाती है। जयप्रकाश इसके लिए टनल तकनीक अपनाते है। इस तकनीक में एक फेब्रीक लगाते है।
जिससे धूप, सर्दी से पौधों को नुकसान नहीं होता है और रोग भी नहीं लगता है। इस तकनीक से पूरा पौधा कपड़े से ढका रहता है। जिसके कारण बिना कीटनाशक का प्रयोग किये उसके खेतों में उत्पादित सब्जियों में किसी प्रकार का रोग नहीं लगता है। गहलोत सब्जियों में सर्वाधिक नुकसान करने वाली फलमक्खी के लिए फोरमैन ट्रेप पद्धति को अपनाते है। इस पद्धति से पूरी मक्खियां कैप्चर हो जाती हैं।
जयप्रकाश बताते है कि वह अपने खेतों में पूरे साल रासायनिक खाद एवं दवाओं का प्रयोग नहीं करते हैं। उनके पास 20 बीघा जमीन है। इसमें 2 बीघा में ऑर्गेनिक सब्जियां पैदा करते है। कोटा में ही उनके खेतो में उत्पादित सब्जियों की मांग इतनी ज्यादा है कि वह 10 प्रतिशत भी पूरी नहीं कर पाते है। कोटा शहर केे नजदीक गांव होने से खरीददार सीधे उनके खेतों में ही आ जाते है। अपनी इस खेती से वह सालाना 20 लाख रूपये तक की उपज करते है। जयप्रकाश ने स्नातक की पढाई कर रखी है नौकरी की अपेक्षा उन्होंने नई तकनीक को अपनाते हुए स्वयं नवाचार करना सही समझा इससे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से अनेक लोगों को रोजगार मिल रहा है।