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pc: patrika
गहलोत सरकार में गठित 17 नए जिलों को लेकर आज अहम फैसला होने की उम्मीद है। राजस्थान के नए जिलों से जुड़ी रिपोर्ट पर विचार-विमर्श के लिए डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में कैबिनेट सब-कमेटी की बैठक दोपहर 3 बजे होनी है। इस बैठक के बाद सीएम भजनलाल शर्मा अंतिम फैसला लेंगे। माना जा रहा है कि कमेटी के निष्कर्षों के आधार पर राज्य सरकार कुछ छोटे जिलों को अन्य जिलों में मिलाने और कुछ नवगठित जिलों को रद्द करने पर विचार कर सकती है। पिछले साल गहलोत सरकार ने जयपुर और जोधपुर संभाग समेत 19 नए जिले बनाने की घोषणा की थी, जिससे राज्य में जिलों की कुल संख्या 50 हो गई थी। यह कदम पूर्व आईएएस अधिकारी रामलुभाया की सिफारिशों पर आधारित था। हालांकि, राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद नए जिलों की समीक्षा के लिए डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया गया था।
इस समीक्षा में सहायता के लिए 1 जुलाई को पूर्व आईएएस अधिकारी पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। पंवार ने प्रत्येक नए जिले का दौरा किया, गहन समीक्षा की और 31 अगस्त को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिस पर आज उप-समिति की बैठक में चर्चा की जाएगी।
पंवार की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श
उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में पंवार की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सत्र के दौरान ललित के. पंवार अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करेंगे। इस बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे कि कितने जिले यथावत रहेंगे, क्या कोई सीमा बदली जाएगी या कोई जिला विलय किया जाएगा। चर्चा के बाद, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इन नए जिलों के भाग्य पर अंतिम फैसला लेंगे।
संभावित जिला परिवर्तन
कुछ छोटे जिलों को लेकर चिंताएं हैं और उन्हें पड़ोसी क्षेत्रों में विलय करने का निर्णय लिया जा सकता है। दूदू, खैरथल तिजारा, केकड़ी, सलूंबर, सांचौर और शाहपुरा जैसे जिलों में इस तरह के बदलाव पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा डीग, गंगापुर सिटी, कोटपुतली-बहरोड़, नीम का थाना, अनूपगढ़ और फलौदी जैसे जिलों का भविष्य भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जयपुर और जोधपुर को ग्रामीण और शहरी जिलों में बांटने को लेकर चल रहा विवाद भी महत्वपूर्ण निर्णय की ओर ले जा सकता है।
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