इन बैंकों में डूबा लोगों का 12 लाख करोड़ रुपये, जानें किस बैंक ने बट्टे खाते में डाला सबसे ज्यादा पैसा

Trainee | Monday, 16 Dec 2024 05:33:48 PM
People's 12 lakh crore rupees have been lost in these banks, know which bank has written off the maximum amount

भारत के बैंकिंग सेक्टर में पिछले 9 वर्षों में कुल 12.3 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला गया है। इनमें से 53% हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) का है, जिन्होंने वित्त वर्ष 2020 से 2024 के बीच 6.5 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में दी।


एनपीए और ऋण माफी का असर

30 सितंबर 2024 तक:

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) का सकल एनपीए: 3,16,331 करोड़ रुपये
  • निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए: 1,34,339 करोड़ रुपये
  • सार्वजनिक बैंकों का एनपीए अनुपात: 3.01%
  • निजी बैंकों का एनपीए अनुपात: 1.86%

वित्त वर्ष 2019 सबसे ज्यादा ऋण माफी का गवाह बना, जब 2.4 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले गए। हालांकि, वित्त वर्ष 2024 में यह राशि घटकर 1.7 लाख करोड़ रुपये रह गई, जो कुल बैंक क्रेडिट का केवल 1% है।


एसबीआई और पीएनबी ने डाला सबसे ज्यादा ऋण बट्टे खाते में

  • भारतीय स्टेट बैंक (SBI): वित्त वर्ष 2015 से 2024 के बीच 2 लाख करोड़ रुपये
  • पंजाब नेशनल बैंक (PNB): 94,702 करोड़ रुपये
  • सितंबर 2024 तक सार्वजनिक बैंकों ने 42,000 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए।

हालांकि, बट्टे खाते में डालने का मतलब यह नहीं है कि उधारकर्ता की देनदारी खत्म हो जाती है। बैंकों द्वारा सिविल कोर्ट, ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT), सारफेसी एक्ट, और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) जैसे माध्यमों से वसूली प्रक्रिया जारी रहती है।


बट्टे खाते में डालने का क्या मतलब है?

ऋण को बट्टे खाते में डालने का अर्थ है कि बैंक उस राशि को अपनी बैलेंस शीट से हटा देता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि ऋण माफ हो गया।

  • यह प्रक्रिया आमतौर पर चार वर्षों के बाद लागू होती है।
  • बैंकों द्वारा वसूली के प्रयास जैसे समझौते या एनपीए की बिक्री भी जारी रहते हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का लाभ और सुधार

  • वित्त वर्ष 2024 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 1.41 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया।
  • सितंबर 2024 तक सकल एनपीए अनुपात घटकर 3.12% रह गया।
  • इसी अवधि में बैंकों ने 85,520 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया।

ऋण वसूली में सुधार और मजबूत प्रबंधन

सरकार और बैंकिंग क्षेत्र एनपीए की वसूली को लेकर लगातार प्रयासरत हैं।

  • सारफेसी एक्ट, 2002 और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 के जरिए वसूली प्रक्रिया में तेजी आई है।
  • बैंकों के मजबूत एनपीए प्रबंधन के कारण भविष्य में बट्टे खाते में डाले जाने वाले ऋणों की संख्या घटने की संभावना है।



 


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